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भाजपा के खिलाफ लड़ाई को तार्किक परिणति तक पहुंचाएंगे : नीतीश कुमार

पटना : जदयू विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि वह सरकार बनाने के लिए दावा पेश करेंगे और इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ लड़ाई को तार्किक परिणति तक पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार बनाने का दावा पेश करने के […]

पटना : जदयू विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि वह सरकार बनाने के लिए दावा पेश करेंगे और इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ लड़ाई को तार्किक परिणति तक पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव आज ही राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से संपर्क साधेंगे और कल सहयोगी दल अपने समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंपेंगे.
नीतीश ने कहा कि बहुमत उनके पास है और जरूरत पड़ने पर अपने संख्या बल की राज्यपाल के समक्ष परेड भी करा देंगे. उन्होंने कहा कि राजद, कांग्रेस और भाकपा का उन्हें समर्थन पत्र प्राप्त है.
नीतीश कुमार ने कहा कि कैबिनेट की बैठक के दौरान मांझी और उनके सात समर्थक मंत्रियों का बिहार विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का प्रस्ताव बहुमत का निर्णय नहीं है. उन्होंने अपने मंत्रिमंडलीय अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि कैबिनेट की यही परंपरा रही है कि मंत्रिमंडल में किसी भी प्रस्ताव पर किसी प्रकार का विरोध होने पर उसे वापस ले लिया जाता है तथा उस पर पुनर्विचार किया जाता है. उन्हांेने कहा कि अगर मांझी द्वारा यह मान लिया गया था कि बिहार विधानसभा को भंग करना उनके हाथ में है तो उससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट में लाने की क्या जरूरत थी.
नीतीश ने कहा कि मांझी के बारे में कई लोग उन्हें कहा करते थे कि वे धमकी दिया करते हैं कि जब वे हटेंगे तो सबकुछ समेट लेंगे पर उसे उन्होंने नजर अंदाज किया पर जब उसे मूर्त रूप दिए जाने की बात सामने आयी तब जाकर उन्हें लगा कि वे बैठे रहे और ऐसा होते देखते रहे. उन्होंने कहा कि विधानसभा को भंग करने की जो सिफारिश की जाने वाली है वह बहुमत द्वारा समर्थित नहीं है और शरद जी ने राज्यपाल को पूर्व में ही सूचित कर दिया है.
उन्होंने मांझी के बारे में कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की पर वे नहीं माने और उसके बाद बात बढ गयी. इस अवसर पर शरद यादव ने कहा कि जदयू के 130 विधायक एवं विधान पार्षद नीतीश कुमार के पक्ष में हैं. जदयू की इस बैठक के लिए उसके कुल 111 विधायकों और 41 विधान पार्षदों को नोटिस भेजा गया था जिसमें नीतीश और मांझी शामिल थे. इस बैठक में मांझी और उनका समर्थन करने वाले सात मंत्रियों और कुछ अन्य विधायकों और विधान पार्षदों ने भाग नहीं लिया.
मांझी ने शरद की इस बैठक को ‘अनधिकृत’ बताते हुए आगामी 20 फरवरी को अपने आवास पर विधायक दल की बैठक बुलायी थी. इससे पूर्व बिहार के संसदीय कार्य मंत्री तथा विधानसभा में जदयू विधायक दल के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने बताया कि आगे की रणनीति तय करने के लिए विधायक दल ने नीतीश कुमार को अधिकृत किया है.
इससे पूर्व नीतीश कुमार समर्थक 21 मंत्रियों ने मांझी और उनके समर्थक सात अन्य मंत्रियों के कैबिनेट में लाए गए बिहार विधानसभा को भंग करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी को पत्र फैक्स कर उनसे बहुमत मंत्रियों द्वारा उसे खारिज कर दिए जाने के कारण उसे स्वीकार नहीं करने का अनुरोध किया था. उल्लेखनीय है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद ने पहले ही राज्यपाल को पत्र भेजकर मांझी के ‘अल्पमत’ में होने के कारण उनकी अनुशंसा को नहीं मानने का आग्रह किया है.
मांझी द्वारा बीती रात्रि बर्खास्त किए गए नीतीश समर्थक दो मंत्रियों में से एक पीके शाही ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को फैक्स किए गए उक्त पत्र की प्रति पत्रकारों को उपलब्ध करायी. मांझी के बीती रात्रि पथ निर्माण मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और वन एवं पर्यावरण मंत्री पी के शाही को बर्खास्त किए जाने की सिफारिश को राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने स्वीकार कर लिया. गत वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में जदयू की करारी हार की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर मांझी को अपना उत्तराधिकारी मनोनीत किया था. नीतीश की पसंद गलत साबित हुई और वे बागी हो गए.
प्रदेश में सत्ताधारी जदयू के भीतर सत्ता संघर्ष से अपने पार्टी हाईकमान को सूचित करने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव आज दोपहर दिल्ली रवाना हो गए. राजद, कांग्रेस और भाकपा ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे नीतीश कुमार के समर्थन में हैं. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान में जदयू के 111, भाजपा के 87, राजद के 24, कांग्रेस के 5, भाकपा के 1, पांच निर्दलीय विधायक तथा 10 रिक्त हैं.

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