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निवेशकों को लुभाने की सरकार की पहल, मेट्रो रेल नहीं, तो मोनो या स्काइ ट्रांस ही दौड़ेगी
पटना: नगर विकास विभाग ने राजधानी में यातायात सुगम बनाने के लिए मेट्रो रेल परियोजना को विस्तार दिया है. कम मुनाफा देनेवाली मेट्रो रेल परियोजना में मोनो रेल और स्काइ ट्रांस रेल परियोजना को भी शामिल किया गया है. तीनों विकल्पों के खुले रखने से निवेशकों ने अभिरुचि दिखायी है. यह उम्मीद जतायी जा रही […]
पटना: नगर विकास विभाग ने राजधानी में यातायात सुगम बनाने के लिए मेट्रो रेल परियोजना को विस्तार दिया है. कम मुनाफा देनेवाली मेट्रो रेल परियोजना में मोनो रेल और स्काइ ट्रांस रेल परियोजना को भी शामिल किया गया है. तीनों विकल्पों के खुले रखने से निवेशकों ने अभिरुचि दिखायी है. यह उम्मीद जतायी जा रही है कि 28 जनवरी को पटना में आयोजित इनवेस्टर मीट में 20 कंपनियां शामिल होंगी.
नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि मेट्रो, मोनो और स्काइ ट्रांस निर्माण करनेवाली कंपनियों को इनवेस्टर मीट के लिए न्योता भेजा गया है. इनवेस्टरों की बैठक में राइट्स द्वारा पटना मेट्रो परियोजना को लेकर प्रेजेंटेशन दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि मेट्रो रेल परियोजना मुनाफे में नहीं चल रही है. सरकार की इच्छा है कि पटना की यातायात को सुगम बनाने के लिए लोक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड पर सभी विकल्पों को खुला रखा जाये. कंपनियों की अभिरुचि केवल मेट्रो में नहीं होकर मोनो व स्काइ ट्रांस के साथ भी हो सकती है. इनमें किसी सेक्टर में घाटा होगा, तो दूसरे सेक्टर से भरपाई करने का मौका मिलेगा. इससे इन्वेस्टर पैसे लगा सकते हैं.
जानकारों का मानना है कि पटना की मेट्रो रेल परियोजना 12 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है. इनवेस्टर मीट में नाइट शेड ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रालि कंपनी ने पहली बार बिहार में इन तीनों प्रोजेक्टों पर अपना प्रस्ताव दिया है. कंपनी द्वारा अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्काइ ट्रांस रेल परियोजना का निर्माण कराया जा चुका है. इंडिया में बुद्धा सर्किट के लिए भी कंपनी को प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट को लेकर सहमति बन गयी है.
स्काइ ट्रांस में नहीं भूमि अधिग्रहण की जरूरत
वजन ढेाने की क्षमता रेल के कोचों की संख्या पर निर्भर करता है. स्काइ ट्रांस रेल का कोच कारनुमा होता है. इसे स्टील के पोल के सहारे छह मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जाता है. यह रेल मैग्नेटिक ग्रेविटेशन के सहारे गाइड-वे पर चलायी जाती है. स्काइ ट्रांस रेल में सरकार को भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता भी नहीं होगी.
सबसे अधिक समय व खर्च मेट्रो रेल में
यह बताया जा रहा है कि स्काइ ट्रांस रेल के 10 किलोमीटर के निर्माण में 16 माह समय लगेगा, जबकि मोनो रेल के 10 किलोमीटर पथ के निर्माण पर 24-36 माह का समय लगेगा. मेट्रो रेल के 10 किलोमीटर पथ के निर्माण पर पांच साल का समय लगता है. मेट्रो रेल के प्रति किलोमीटर निर्माण पर लागत (भूमिगत, जमीन पर और उपरी पथ पर) करीब 250-600 करोड़ रुपये आती है, जबकि मोनो रेल के प्रति किलोमीटर के निर्माण पर 200-300 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. इसकी तुलना में स्काइ ट्रांस के प्रति किलोमीटर निर्माण पर 90-100 करोड़ की लागत आती है.
क्यों पड़ी जरूरत
बताया जा रहा है कि मोनो रेल की तुलना में मेट्रो परियोजना में 70 फीसदी अधिक बिजली की खपत, भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता, निर्माण की लागत में खर्च और प्रदूषण की समस्या होती है. अगर मोनो रेल और स्काइ ट्रांस रेल को स्वीकृति मिलती है, तो मेट्रो की तुलना में महज 30 फीसदी खर्च में निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा. मेट्रो और मोनो रेल में यात्रियों क ी ढोने की क्षमता एक दिशा में प्रति घंटा 28-32 हजार लोगों की होती है. स्काइ ट्रांस रेल की क्षमता एक दिशा में प्रति घंटे 48 हजार यात्रियों को ढोने की होती है. इनवेस्टर मीट पर इन सभी बिंदुओं पर चर्चा और विमर्श के बाद सरकार अंतिम रूप से इसके टेंडर की प्रक्रिया में जायेगी.
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