– जन स्वास्थ्य अभियान का दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न संवाददाता, पटना बिहार में सबों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने के लिए बजट में सालाना पांच सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाये. राज्य सरकारें अपने बजट का दस फीसदी स्वास्थ्य पर खर्च करें. केंद्र सरकार जीडीपी का तीन फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य मद में डाले. इसको लेकर शुक्रवार को जन स्वास्थ्य अभियान ने अपने दो दिवसीय सम्मेलन के समापन पर यह घोषणा पत्र जारी किया. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि राज्यों को अपनी जरूरतों के हिसाब से पैसे आवंटित हो, तभी जनोपयोगी योजनाएं बन पायेगी. आज भी देश की केवल 22 फीसदी आबादी सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के दायरे में आती है. जीडीपी का सवा फीसदी हिस्सा ही स्वास्थ्य पर खर्च होता है. ऐसे में सबों को मुफ्त दवा की परिकल्पना साकार करने के लिए दलीय सीमाओं से ऊपर उठ कर सोचना होगा. भाकपा के वरिष्ठ नेता जब्बार आलम ने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा व रोजगार को मौलिक अधिकार बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य नीति के केंद्र में जब तक आम आदमी नहीं होगा. तब तक सबों को मुफ्त दवा का मकसद पूरा नहीं होगा. उनकी पार्टी इस मुद्दे को घोषणा पत्र में प्रमुखता से जगह देगी. भाजपा विधायक डॉ उषा विद्यार्थी ने अस्पताल भवन, डॉक्टर, दवा, नर्स और कंपाउंडर की कमी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने में एनजीओ की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकार को दवा के मुद्दे पर सोचना पड़ेगा.
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सभी को मुफ्त दवा दिलाने को बजट में पांच सौ करोड़ रुपये का प्रावधान
– जन स्वास्थ्य अभियान का दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न संवाददाता, पटना बिहार में सबों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने के लिए बजट में सालाना पांच सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाये. राज्य सरकारें अपने बजट का दस फीसदी स्वास्थ्य पर खर्च करें. केंद्र सरकार जीडीपी का तीन फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य मद में डाले. इसको […]
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