एनएमसीएच का भी बुरा हाल
पटना सिटी : पीएमसीएच के हालात पर मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थिति में फिलहाल भले ही सुधार दिख रहा है, लेकिन आम दिनों में यहां मरीजों को परेशानियों से दो चार होना पड़ता है. अस्पताल में बीमार व लाचार तबका इसलिए जाता है कि उन्हें उम्मीद होती है कि वहां कम पैसे में बेहतर उपचार होगा, महंगी दवाएं व जांच की सुविधा मुफ्त मिलेगी. लेकिन, स्थिति ठीक इसके विपरीत है. करोड़ों खर्च होने के बाद भी जांच व दवा का लाभ मरीजों तक नहीं पहुंच पाता है. अस्पताल में इस समय 750 बेड हैं. बेडों की संख्या 1500 करने की योजना प्रस्तावित है. इसके साथ ही अस्पताल में 68 बेडों का आइसीयू भी है.
इसके बाद भी गंभीर स्थिति के मरीज यहां से रेफर कर दिये जाते हैं, क्योंकि सीटी स्कैन की सुविधा नहीं है. 68 बेडों के आइसीयू में 20 बेडों का विशेष आइसीयू है. पांच बेडवाले आइसीयू की सुविधा इमरजेंसी व पिकू में है. मेडिसिन विभाग आठ और नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (निक्कु) में यह सुविधा 30 बेडों की है.
एक्सरे की सुविधा नहीं
अस्पताल की एक्सरे मशीन खराब पड़ी है. सेंट्रल एक्सरे में लगी डिजिटल एक्सरे मशीन पहले से खराब थी. पोर्टबल मशीन से एक्सरे किया जा रहा था. यह मशीन भी एक माह से खराब पड़ी है. अस्पताल के अधीक्षक संतोष कुमार का कहना है कि एक्सरे की नया मशीन आ गयी है. स्टॉल करने का काम भी शीघ्र हो जायेगा. इतना ही नहीं, दोपहर के बाद अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा मरीजों को नहीं मिलती. पैथोलॉजी में केमिकल व किट की कमी के कारण जांच का काम बाधित होता है. सीटी स्कैन की सुविधा नहीं होने से दुर्घटना में जख्मी मरीजों को बेहतर उपचार के लिए रेफर किया जाता है.