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बिहटा : एक कमरे में पढ़ते हैं 145 बच्चे, बारिश में हो जाती है छुट्टी

बिहटा के श्रीरामपुर प्राथमिक विद्यालय का हाल बिहटा : बिहटा-औरंगाबाद मुख्य मार्ग में बिहटा थाने से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित प्रखंड के 113 प्राथमिक विद्यालयों में से एक श्रीरामपुर प्राथमिक विद्यालय महज एक कमरे में 145 बच्चों की पढ़ाई, मिड डे मील का रसोई घर, प्रधानाचार्य के ऑफिस की व्यवस्था है. यह […]

बिहटा के श्रीरामपुर प्राथमिक विद्यालय का हाल
बिहटा : बिहटा-औरंगाबाद मुख्य मार्ग में बिहटा थाने से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित प्रखंड के 113 प्राथमिक विद्यालयों में से एक श्रीरामपुर प्राथमिक विद्यालय महज एक कमरे में 145 बच्चों की पढ़ाई, मिड डे मील का रसोई घर, प्रधानाचार्य के ऑफिस की व्यवस्था है. यह विद्यालय कई सालों से ऐसे ही संचालित किया जा रहा है. इसकी जानकारी अधिकारियों को भी है, मगर अब तक कोई सुधार नहीं आया. यहां के शिक्षकों का दावा है कि भले ही स्कूल की हालत खराब हो, मगर यहां की पढ़ाई किसी कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं होती.
दरअसल, बिहटा श्रीरामपुर टोला क्षेत्र का प्राथमिक विद्यालय मुख्य सड़क के किनारे खुले आसमान में चल रहा है. जब मिड डे मील खाने का समय होता है, तो बच्चे हाथ में थाली लेकर रोड किनारे खड़ा होकर खाते हैं. ऐसे में अन्य सुविधाओं की बात बेमानी ही होगी. स्कूल की स्थिति को लेकर बहुत सी शिकायतें हुईं, लेकिन शिक्षा अधिकारियों ने इसे दूर करने की दिशा में कोई खास कदम नहीं उठाया.
स्कूल में कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. पूरा स्कूल ही सड़क किनारे चल रहा है. आसपास के लोगों ने बताया कि यह स्थिति अभी से नहीं बल्कि पिछले कई सालों से बनी हुई है. कई शिक्षा मंत्री, कई पदाधिकारी बदल गये लेकिन स्थिति यथावत है. इस मामले से वर्तमान शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी अवगत कराया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. सालों बाद भी सरकार अन्य जगह जमीन तलाश कर विद्यालय का भवन बनाने में नाकाम रही है.
खुद टीचरों से बोला जाता है कि जमीन ढूंढ़ कर लाओ. पर्याप्त जगह न होने के कारण एडमिशन सीमित संख्या में लिया जा रहा है. दो साल पहले तक 250 बच्चे हुआ करते थे, अब 145 रह गये हैं. जिस दिन बरसात हो जाये, स्कूल बंद ही हो जाता है. प्रधानाध्यापक राघवेंद्र प्रसाद ने बताया कि यहां पर कई समस्याओं से जूझना पड़ता है. विद्यालय में महज एक कमरा है, जिसमें ऑफिस का कार्य, मिड डे मील, क्लास रूम में 145 बच्चों को बैठा कर पढ़ना तो दूर, खड़ा करने का भी जगह नहीं है. जमीन के अभाव में आज तक विद्यालय का निर्माण नहीं हो पाया है. व्यवस्था नहीं होने से दिन पर दिन बच्चों की संख्या घटती जा रही है.विद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण भवन का निर्माण नहीं हो पाया है.
रमेश प्रसाद सिंह,बीइओ

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