पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जीवनी आठवीं कक्षा में पढ़ायी जायेगी. उनकी जीवनी को सामाजिक विज्ञान विषय के कोर्स में शामिल किया जायेगा. उनकी जीवनी बच्चों के व्यक्तित्व विकास और उन्हें जवाबदेह नागरिक बनाने में मददगार साबित होगी. मुख्यमंत्री ने सोमवार को ज्ञान भवन में आयोजित शिक्षा दिवस समारोह में ख्यातिप्राप्त गणित के शिक्षक प्रो केसी सिन्हा और प्रतिष्ठित समाजसेवी प्रेम वर्मा को राज्य का सर्वोच्च शिक्षा सम्मान मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार प्रदान किया.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि रिटायर्ड होने के बाद भी जिस तरह प्रेम वर्मा ने कमजोर वर्ग के बच्चों की शैक्षणिक बेहतरी के लिए काम किया है, वह अनुकरणीय है. मैं भी मानता हूं कि 60 साल की उम्र में काम करने के लिए भरपूर ऊर्जा रहती है, इसलिए सरकारी नौकरियों में अवकाशप्राप्त करने की उम्रसीमा बढ़ायी जानी चाहिए. उन्होंने शिक्षकों की नाराजगी के प्रति इशारा करते हुए कहा कि इन दिनों शिक्षक न जाने क्या- क्या बोलते दिख रहे हैं, लेकिन मैं पूरी जिम्मेदारी से बताना चाहता हूं कि हमने अच्छी संख्या में नियोजन किया है. आगे भी हमारी सरकार शिक्षकों और शिक्षा की बेहतरी के लिए काम करती रहेगी. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के जरिये ग्रेजुएट करने के लिए भी विद्यार्थी लोन ले सकता है.
मौलाना आजाद की जयंती को शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की प्रासंगिकता बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मौलाना सही मायने में हिंदू-मुस्लिम एकता और स्त्री शिक्षा के महान पक्षधर थे. उन्हीं की प्रेरणा पर भारत-पाक बंटवारे के दौरान तमाम मुस्लिम भारत में ही रह गये. नयी पीढ़ी को उनके इस तरह के कृतित्व से जरूर परिचित होना चाहिए. मौलाना के रास्ते पर चल कर समाज में भाईचारा स्थापित किया जा सकता है. यही भाईचारा उनके लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी. उन्होंने आगाह किया कि इन दिनों निजी रंजिश को सामाजिक झगड़ा बताकर लड़ाने की कोशिश की जा रही हैं. इससे सावधान रहना होगा.