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एम्स, पटना में कम गुणवत्तावाली दवाओं की हो रही सप्लाइ

पटना : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) परिसर में संचालित अमृत फार्मा दवा दुकान में मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गये हैं. कम क्षमता और बिना क्वालिटी मेंटेन की मिल रही दवाओं को लेकर मरीज लगातार अस्पताल प्रशासन से शिकायत कर रहे हैं. बावजूद मरीजों की शिकायत पर जिम्मेदार अधिकारियों की […]

पटना : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) परिसर में संचालित अमृत फार्मा दवा दुकान में मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गये हैं. कम क्षमता और बिना क्वालिटी मेंटेन की मिल रही दवाओं को लेकर मरीज लगातार अस्पताल प्रशासन से शिकायत कर रहे हैं. बावजूद मरीजों की शिकायत पर जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. यहां तक कि डॉक्टर भी दवाओं की क्वालिटी को लेकर एम्स प्रशासन के सामने अपनी बात रख चुके हैं,

डॉक्टरों ने भी बैठक में उठाये सवाल : मरीजों को कम क्षमता वाली दवा देने के बाद एम्स के डॉक्टरों ने भी सवाल खड़ा कर दिये हैं. कैंसर, जनरल मेडिसिन, हृदय रोग, डेंटल आदि विभाग के डॉक्टरों ने एम्स प्रशासन के साथ हुई बैठक में अमृत फार्मा में मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिये हैं.
डॉ राजीव प्रसाद, डॉ सचिन कुमार, डॉ संजय, डॉ एनके सिंह, डॉ अविनाश, डॉ पी सिंह, डॉ अखिलेश आदि कई डॉक्टरों ने कहा है कि मरीजों को दी जाने वाली दवाओं में बीमारियों को ठीक करने के लिए जितनी मात्रा में साल्ट मौजूद होना चाहिए, वह नहीं होता है, जिससे यह मरीज पर कारगर नहीं रहती. वह बेहतर क्वालिटी की दवाएं थी. जो दवाएं दी जा रही हैं, उसको लेकर जांच करने की जरूरत है. इस संबंध में मेडिकल सुपरिटेंडेंट न फोन उठाया और नहीं कोई जवाब दिया.
मेडिकल सुपरिटेंडेंट से की शिकायत
केस 1 : एम्स में इलाज कराने आये मोहन चौरसिया कैंसर के मरीज हैं. कैंसर ओपीडी में इलाज कराने के बाद डॉक्टर ने रजिस्ट्रेशन पर्चे पर ग्राफील 300 एमसीजी कैंसर का इन्जेक्शन लिखा. नियमानुसार कीमोथेरेपी के बाद संक्रमण को रोकने के लिए ग्राफील 300 एमसीजी का इस्तेमाल किया जाता है. जब मरीज ने अमृत फार्मा से दवा ली और डॉक्टर के पास दवा दिखाने लेकर गये, तो बेस्ट क्वालिटी की दवा लाने की सलाह दी गयी, लेकिन वह दवा अमृत में नहीं थी. 15 दिन तक दवा के उपयोग के बाद भी जब असर नहीं हुआ, तो मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ सीएम सिंह को लिखित में कंप्लेन कर दिया गया है.
केस 2 : डायबिटीज व गैस को लेकर पटना के रहने वाले मनोज कुमार एम्स के जनरल मेडिसिन विभाग पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उनके रजिस्ट्रेशन पर्चे पर ग्लूकोनॉर्म व पेंटोसिड दवा लिखी. बेहतर क्वालिटी की माने जाने वाली ग्लूकोनॉर्म शुगर कंट्रोल व पेंटोसिड गैस के लिए दी जाती है.
लेकिन मनोज कुमार को अमृत फार्मा में लोकल कंपनी की दवा दे दी गयी. लगातार दवा खाने के बाद जब उनको राहत नहीं मिली, तो वह फिर डॉक्टर के पास पहुंचे, तो डॉक्टर ने मनोज द्वारा खा रही दवा को देखा और बेहतर गुणवत्ता वाली दवा को खाने की सलाह दी. इसकी शिकायत मनोज ने अस्पताल प्रशासन से की है.
क्या कहते हैं मरीज
एक ओर परिसर में संचालित दवा दुकान बंद कर दी गयी, तो दूसरी ओर कैंसर व हार्ट फेल्योर जैसे गंभीर मरीजों को बाहर घूम-घूम कर दवाएं लानी पड़ रही हैं. विकल्प के तौर पर अमृत दवा दुकान है, लेकिन वहां 70 प्रतिशत दवाएं नहीं हैं और जो दवाएं हैं, वह बेहतर क्वालिटी की नहीं हैं. ऐसे में मरीज परेशान हो रहे हैं.
रमेश कुमार सिंह

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