नयी दिल्ली : बिहार सरकार के सरकारी स्कूलों में संविदा पर कार्यरत करीब साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है. समान काम के बदले समान वेतन देने के पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है. लंबे समय से इंतजार कर रहे नियोजित शिक्षकों को निराशा हाथ लगी है.
Supreme Court sets aside the Patna High Court order that had ruled
that nearly 3.5 lakh contract teachers in government schools in Bihar are entitled to a salary on a par with the regular permanent teachers, .— ANI (@ANI) May 10, 2019
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस आदेश को टाल दिया, जिसमें कहा गया था कि बिहार के सरकारी स्कूलों में संविदा पर कार्यरत करीब 3.5 लाख शिक्षक नियमित आधार पर वेतन पाने के हकदार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के समान काम के बदले समान वेतन देने के फैसले से इनकार करते हुए पटना हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है. जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस उदय उमेश ललित की खंडपीठ में मामले की अंतिम सुनवाई पिछले साल तीन अक्तूबर को हुई थी. सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.
कब-कब क्या-क्या हुआ?
2009 : बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने बिहार में नियोजित शिक्षकों के लिए समान काम समान वेतन की मांग को लेकर पटना हाइकोर्ट में दाखिल की याचिका.
2017 : 31 अक्तूबर को बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के पक्ष में फैसला आया कि नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए.
2018 : तीन अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई पूरी हुई. केंद्र और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि समान वेतन नहीं दिया जा सकता है.
2018 : तीन अक्तूबर से पहले सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग 24 दिन सुनवाई हो चुकी थी.