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पटना : नयी तकनीक से बनेंगी राज्य की ग्रामीण सड़कें

सुजीत कुमार एनआइटी पटना ने कई सड़कों की डीपीआर तैयार किये पटना : राज्य की ग्रामीण सड़कों को जल्द ही मिट्टी के सहयोग से बनाया जायेगा. ये सड़कें एक तरफ जहां काफी टिकाऊ होंगी वहीं इन्हें बनाने में लागत भी कम आयेगी. इन सड़कों को बनाने के लिए एनआइटी पटना के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा […]

सुजीत कुमार
एनआइटी पटना ने कई सड़कों की डीपीआर तैयार किये
पटना : राज्य की ग्रामीण सड़कों को जल्द ही मिट्टी के सहयोग से बनाया जायेगा. ये सड़कें एक तरफ जहां काफी टिकाऊ होंगी वहीं इन्हें बनाने में लागत भी कम आयेगी. इन सड़कों को बनाने के लिए एनआइटी पटना के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा पिछले दो सालों से रिसर्च किया जा रहा था. यह जानकारी प्रोजेक्ट को पूरी करने वाली टीम तथा संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर संजीव सिन्हा ने दी. उन्होंने बताया कि रिसर्च पूरा होने के बाद रिपोर्ट को ग्रामीण कार्य विभाग को सौंप दिया गया है. प्राेजेक्ट को बिहार सरकार व विश्व बैंक द्वारा फंडिंग की जा रही है. टीम में सुशांत व राकेश भी शामिल थे.
टिकाऊ है नयी तकनीक : प्रो सिन्हा ने बताया कि इस तकनीक में मिट्टी की जांच परख के बाद उसे टिकाऊ बनाने के लिए उसमें चूना-पत्थर, सीमेंट, थर्मल पावर प्लांट से निकली फ्लाई ऐश को मिलाया जाता है.
इससे मिट्टी की भार सहन की क्षमता में वृद्धि होती है. साथ ही सड़क को खराब करने वाले कारक जैसे पानी, धूप, नमी का प्रभाव भी काफी कम हो जाता है. प्रदेश में ज्यादातर जिलों में दो तरह की मिट्टी पायी जाती हैं. इनमें एक मोटी मिट्टी या बलुआही मिट्टी होती है तथा दूसरी कैवाल मिट्टी होती है. कैवाल मिट्टी गिली हाेने पर लसलसापन लिये रहती है जबकि सूखने पर कठोर हो जाती है. यह सड़क के लिए उचित नहीं माना जाता है.
कई मायनों में अलग होगी सड़क
प्रो सिन्हा बताते हैं, इस नयी तकनीक से सड़क की अनावश्यक ऊंचाई नहीं होगी. पुरानी तकनीक में सड़कों को बनाने के लिए बोल्डर का प्रयोग होता था और तीन से चार परतों में गिट्टी की आवश्यकता होती थी, जिससे सड़क की ऊंचाई ज्यादा हो जाती थी. इस नयी तकनीक में बेस तथा सब बेस में मिट्टी का ही प्रयोग किया जायेगा. ग्रामीण सड़कों को बनाने में यह प्रयोग काफी सफल रहा है. इस तरह की ज्यादातर सड़क को बनाने में उपयोग किये जाने वाले मैटेरियल स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो सकेंगे. इससे सड़क बनाने की लागत में भी काफी कमी आयेगी.

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