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पटना : लोकलुभावन नारों का कमाल, कई बार इससे बनी है सरकार

पटना : संशोपा ने बांधी गांठ-पिछड़ा पावे सौ में साठ, अंगरेजी मे काम न होगा-फिर से देश गुलाम न होगा. साठ के दशक मेें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का यह नारा गांवों में, खेत-खलिहानों में गूंज रहा था. समाजवादियों के इस नारे ने कमाल किया और 1960 के दशक के अंत में प्रदेश में संविद सरकार […]

पटना : संशोपा ने बांधी गांठ-पिछड़ा पावे सौ में साठ, अंगरेजी मे काम न होगा-फिर से देश गुलाम न होगा. साठ के दशक मेें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का यह नारा गांवों में, खेत-खलिहानों में गूंज रहा था. समाजवादियों के इस नारे ने कमाल किया और 1960 के दशक के अंत में प्रदेश में संविद सरकार बनी, तो इसमें इन नारों की भी कहीं न कहीं भूमिका थी. ऐसे लोकलुभावन नारों ने राजनीति में कमाल किया है.

ये नारे उस समय गढ़े गये थे, जब प्रचार माध्यम के लिए सोशल मीडिया नहीं था. इसके बावजूद लोगों की जुबां से सालों ये नारे नहीं उतरे. अब भी नारे गढ़े जा रहे हैं, प्रचार माध्यमों ने इनका दायरा भी बढ़ाया है. इस बार के चुनाव में कन्हैया कुमार की आजादी गीत लोगों की जुबां पर है. जेएनसू कैंपस में गाये गये इस गीत को बेगूसराय में चुनाव प्रचार के लिए भी गाया जा रहा है. 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज को लेकर नारे गढ़े थे.

बिहार में बहार है-नीतीशे कुमार है, यह नारा खूब प्रचलित हुआ था. 1971 के आम चुनाव से पहले ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया गया था और और इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री बनी थीं. 1977 के आम चुनाव में लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा हटाओ-देश बचाओ का नारा दिया था और देश में गैरकांग्रेसी सरकार बनी थी.

वीपी सिंह के समर्थन में भी बना नारा

पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल में राजा नहीं फकीर है- देश की तकदीर है, नारा लोकप्रिय हुआ था. 1989 के चुनाव में कांग्रेस हारी और वीपी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनी. 1990 में भूरा बाल साफ करो नारा चर्चा में आया था. हालांकि, अब भी लालू प्रसाद इस नारे से इन्कार करते हैं.

पर, जानकार बताते हैं कि इसका फायदा लालू प्रसाद को मिला. 1996 में भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के लिए नारा दिया- सबको देखा बारी-बारी, अबकी बारी अटल बिहारी. इस चुनाव में भाजपा बेहतर हालत में रही और वाजपेयी 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने थे.

भाजपा की इंडिया शाइनिंग

2003 में भाजपा का इंडिया शाइनिंग का नारा चर्चित रहा था. इसके विरोध में कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ भी चर्चित हुआ था. 2004 के चुनाव में कांग्रेस को फायदा हुआ और उसके नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी. 2014 में भाजपा ने दो मुख्य नारा दिया-अच्छे दिन आने वाले हैं, सबका साथ, सबका विकास. भाजपा को बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी. वहीं लोजपा का ‘ये चिराग हर घर को उजाला करेगा’ नारा भी चर्चित रहा.

वर्ष 2019 के चुनावी नारे

इस चुनाव के लिए भाजपा ने एक बार फिर मोदी सरकार, मोदी है तो मुमकिन है और मैं भी चौकीदार का नारा दिया है. जदयू ने 11 नारे बनाये हैं.

इनमें सच्चा है-अच्छा है चलो नीतीश के साथ चलें, नयी उड़ान-नया आसमान-आधी आबादी को पूरा सम्मान, नीक बिहार-ठीक बिहार, सुशासन का प्रतीक बिहार, अब न बिहार अन्हार चाहिए-साइकिल पर बिटिया सवार चाहिए, नेता नीति नीयत बेजोड़ चाहिए-बिहार को एनडीए का गठजोड़ चाहिए, नशे की बोतल बाहर-घर में दूध-मलाइ आदि शामिल हैं.

वहीं, राजद का एक नारा जो इन दिनों चर्चा में है- उन्नति के उजियार के खातिर लालटेन के जले के बा…करे के बा…लड़े के बा…जीते के बा…करे के बा…लड़े के बा… जीते के बा. वहीं, कांग्रेस ने ‘कट्टर सोच नहीं, युवा जोश’ और अन्य विपक्षी दलों ने ‘मोदी हटाओ, देश बचाओ’ का भी नारा दिया है.

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