पटना: महिलाओं को अपने अधिकार का ज्ञान होना चाहिए. जो भी पीड़ित महिला थाने आती है, उसके लिए माहौल ऐसा हो कि उसे वहां सुरक्षा की भावना और अपनापन महसूस हो. पीड़ित महिलाओं को रिमांड होम में नहीं रखा जाना चाहिए.
उनके लिए पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की जानी चाहिए. ये बातें डीजीपी पीके ठाकुर ने महिला अत्याचार-निवारण एवं समग्र प्रबंधन पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहीं. कार्यशाला का आयोजन महिला विकास निगम, समाज कल्याण विभाग एवं महिला अपराध निवारण कोषांग, कमजोर वर्ग, अपराध अनुसंधान विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. डीजीपी ने कहा कि पुलिस बहाली में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी है.
थाने में हो परामर्श केंद्र : पुलिस महानिदेशक (कमजोर वर्ग) अरविंद पांडेय ने कहा कि हर थाने में पीड़ित महिलाओं के लिए परामर्श केंद्र होना चाहिए. पीड़ित महिलाओं के केस पर त्वरित कार्रवाई केंद्र को सक्रिय बनाया जाये. पुलिस व काउंसेलर को एक-दूसरे का पूरक बताते हुए अपर पुलिस महानिदेशक एके उपाध्याय ने कहा कि रजिस्टर पर केस दर्ज करने के साथ उस पर काम भी करना चाहिए. फरियादियों की बातों को सुन कर उसे जल्द-से-जल्द सुलझाना चाहिए. महिला विकास निगम के परियोजना निदेशक रूपेश कुमार ने कहा कि महिलाओं के लिए कई तरह की योजनाएं चल रही हैं. इसमें नारी शक्ति योजना के अलावा कन्या सुरक्षा योजना शामिल है. समाज कल्याण विभाग के निदेशक इमानमुद्दीन अहमद ने कहा कि महिला हेल्पलाइन ने पीड़िताओं को एक विश्वास दिया है. महिलाएं यहां आसानी से मामला दर्ज करवाने पहुंच रही हैं.
50 प्रतिशत मामले महिला संबंधी : एसएसपी मनु महाराज ने कहा कि जनता दरबार में 50 प्रतिशत से ज्यादा मामले महिलाओं की हिंसा और अत्याचार से संबंधित होते हैं. इसे गंभीर बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए 100 नंबर डायल प्रारंभ किया गया है. इस पर डायल करने के बाद तत्काल पुलिस की सहायता उपलब्ध होती है.
सिटी एसपी आशीष भारती ने कहा कि महिला हिंसा के मामलों का निवारण प्राथमिकता के स्तर पर होना चाहिए. अध्यक्षता महिला विकास निगम की प्रबंध निदेशक नीलम गुप्ता ने की. कार्यशाला का संचालन राधेश्याम राम ने किया. मौके पर आरक्षी अधीक्षक हरप्रीत कौर ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया. कार्यशाला में 23 थानों के प्रभारी, मुंशी, परामर्शियों सहित निगम के अधिकारी मौजूद थे.