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पटना :बीएड एडहॉक शिक्षक बहाली के लिए नेट या पीएचडी जरूरी

बेहतर क्वालिटी को एनसीटीई ने उठाये कई कदम पटना : एनसीटीई ने बीएड कोर्स की पढ़ाई की क्वालिटी बढ़ाने को लेकर कई तरह के कदम उठाये हैं. बीएड के लिए एडहॉक या कांट्रैक्ट बेसिस पर शिक्षकों बहाली के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अब नेट या पीएचडी कर दिया गया है. पहले एमए इन एजुकेशन […]

बेहतर क्वालिटी को एनसीटीई ने उठाये कई कदम
पटना : एनसीटीई ने बीएड कोर्स की पढ़ाई की क्वालिटी बढ़ाने को लेकर कई तरह के कदम उठाये हैं. बीएड के लिए एडहॉक या कांट्रैक्ट बेसिस पर शिक्षकों बहाली के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अब नेट या पीएचडी कर दिया गया है.
पहले एमए इन एजुकेशन या एमएड होने पर भी प्राइवेट कॉलेजों में शिक्षकों की बहाली की जा सकती थी. लेकिन अब एेसा संभव नहीं होगा. इसी तरह प्राचार्य के लिए पहले जहां किसी भी विषय में पीएचडी होना अनिवार्य था, अब एजुकेशन में ही पीएचडी होना अनिवार्य कर दिया गया है.
नये नियम के बाद शिक्षकों की हो सकती है कमी : नये नियम के बाद अब जो बीएड कॉलेजों में बहाली होगी, उसमें शिक्षकों की कमी हो सकती है. इसका कारण यह है कि एनसीटीई ने अब आगे चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स लागू करने की घोषणा कर रखी है.
अगर वर्तमान में दो वर्षीय बीएड कोर्स की बात भी करें तो बड़ी तादाद में राज्य के कॉलेजों में एमएड या एमए इन एजुकेशन के क्वालिफिकेशन पर शिक्षक बहाल हैं और पढ़ा रहे हैं. इनकी सूची कॉलेजों ने एनसीटीई को भी भेजी है. लेकिन अब सभी कॉलेजों को उक्त सूची में बदलाव करना होगा और नये नियमों के अनुसार शिक्षक बहाल करके सूची भेजनी होगी. जाहिर है कि जब पहले एक वर्ष वाले कोर्स में ही उतने शिक्षक नेट या पीएचडी नहीं थे तो दो वर्षीय कोर्स में भी ऐसे शिक्षकों की कमी होगी.
ऑनर्स विषय भी पढ़ा सकें, ऐसे शिक्षकों की भी बहाली करनी होगी
यह आने वाले दिनों में और भी कठिन होगा जब चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स लागू कर दिया जायेगा. इसके बाद ऐसे शिक्षकों की बहाली करनी पड़ेगी जो ऑनर्स के विषय और बीएड भी पढ़ा सकें. इतनी बड़ी संख्या में नेट, पीएचडी क्वालिफाई शिक्षक नहीं हैं और अगर कॉलेजों ने एनसीटीई द्वारा निर्धारित संख्या को पूरा नहीं किया तो उनके लिए कोर्स चलाना मुश्किल होगा. प्राइवेट कॉलेजों ने तो इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है.
वहीं सरकारी कॉलेज जहां बीएड कोर्स वोकेशनल के तर्ज पर नहीं होते और फीस भी कम होती है, उनका कहना है कि जब तक एनसीटीई द्वारा सीधे तौर पर इस संबंध में कोई पत्राचार नहीं होता, तब तक अभी वे इस दिशा में कुछ नहीं करेंगे. लेकिन अगर पत्र आता है तो उन्हें फिर से शिक्षकों की कांट्रैक्ट पर बहाली करनी पड़ सकती है, क्योंकि बीपीएससी द्वारा जो वेकेंसी निकाली गयी थी, वह कई वर्षों से अटकी हुई है.
इतनी बड़ी संख्या में नेट व पीएचडी शिक्षक वर्तमान में कम हैं. अगर एनसीटीई इस मामले में लिबरल होती है तो ही सभी बीएड कॉलेजों में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या हो पायेगी. अगर नहीं होती है, तो शिक्षकों की संख्या में कमी आ सकती है. लेकिन इतना तो तय है कि एनसीटीई के नये नियमों के बाद शिक्षण के क्वालिटी में काफी सुधार होगा और अच्छे शिक्षक कॉलेजों को मिलेंगे.
प्रो ललित कुमार, प्राचार्य, पटना ट्रेनिंग कॉलेज
दो हजार और बीएड शिक्षकों होगी जरूरत
प्रदेश में लगभग 300 प्राइवेट बीएड कॉलेज हैं. अब तक दो वर्षीय बीएड कोर्स लागू था. इसके मद्देनजर अभी इन कॉलेजों में लगभग दो हजार शिक्षकों की आवश्यकता थी. लेकिन अब एनसीटीई ने चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स लागू करने की घोषणा कर रखी है. ऐसे में इन कॉलेजों में लगभग चार हजार शिक्षकों की आवश्यकता होगी.

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