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पेट्रोल-डीजल की कीमत में मामूली राहत से चुनावी वैतरणी पार करने की सस्ती मंशा
सुबोध कुमार नंदन पटना : पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों में पांच रुपये की राहत मिलने के बाद शनिवार को तेल के दामों में फिर कुछ बढ़ोतरी हो गयी. इससे साफ हो गया कि यह राहत स्थायी नहीं है. दरअसल माना जा रहा है कि कुछ समय के लिए चुनावी सीजन को ध्यान में रखकर उठाया […]
सुबोध कुमार नंदन
पटना : पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों में पांच रुपये की राहत मिलने के बाद शनिवार को तेल के दामों में फिर कुछ बढ़ोतरी हो गयी. इससे साफ हो गया कि यह राहत स्थायी नहीं है. दरअसल माना जा रहा है कि कुछ समय के लिए चुनावी सीजन को ध्यान में रखकर उठाया गया कदम भर है. एक्सपर्ट बता रहे हैं कि पांच रुपये की कमी का फायदा केवल एक माह तक ही मिलेगा. पटना में छह माह में पेट्रोल के दाम में लगभग 10 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ है. जबकि डीजल के दाम में 10.57 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ.
सर्वाधिक स्तर तक पहुंच गयी थी कीमत
चार अक्तूबर को पटना में पेट्रोल का भाव 90.14 रुपये और डीजल 81.14 रुपये प्रति लीटर तक चला गया था. केंद्र सरकार ने चार अक्तूबर को तेल कीमतों पर राहत देते हुए पेट्रोल-डीजल के दाम में ढाई रुपये प्रति लीटर कटौती की घोषणा की थी. उसके बाद बिहार सरकार ने वैट में कटौती की. इससे राज्य में पेट्रोल पर 5.02 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 5.05 रुपये प्रति लीटर की राहत मिलनी शुरू हो गयी है.
पटना पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव अजय कुमार सिंह कहते है कि अब जो ईंधन का भाव चलेगा, वह अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल और डॉलर के ऊपर निर्भर करेगा. हालांकि भाव में इजाफा होना तय है.
16 माह में 21 से अधिक का इजाफा
– 15 जून, 2017 से भारत में पेट्रोल की कीमतों में सुधार किया गया था. उसके बाद से हर दिन सुबह 6 बजे तेल कंपनियां पेट्रोल के दाम संशोधित करती हैं. 16 जून, 2017 को पटना में पेट्रोल का भाव 68.37 रुपये प्रति लीटर था. 4 अक्तूबर, 2018 को पेट्रोल का भाव 90.14 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गया. इस तरह 16 माह में पटना में पेट्राेल की कीमत में 21.77 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ.
– पड़ोसी राज्य झारखंड में कटौती के बाद भी रांची औरपटना के भाव में 7.03 रुपये प्रति लीटर का अंतर है. शनिवार को पटना में पेट्रोल का 85.28 रुपये जबकि रांची में 78.25 रुपये प्रति लीटर था.
जब दाम कम थे तब टैक्स बढ़ा कर भरा खजाना
कुछ माह पहले जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 35 रुपये प्रति बैरल हो गयी थीं, उस समय सरकार ने लगातार टैक्स बढ़ाया, जिससे उपभोक्ताओं को फायदा नहीं मिला. तब सरकार ने केवल अपना खजाना भरा. अब जब कीमतें आसमान छू रही हैं, तब केंद्र और कुछ राज्य सरकारों ने मामूली राहत देकर अपनी पीठ थपथपायी है. दरअसल ये केंद्र का सियासी फंडा माना जा रहा है.
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