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पटना : तकनीकी बदलाव से परेशान हैं ईपीएफओ सदस्य
लगभग तीस फीसदी सदस्यों के पीएफ खाते में जमा नहीं हुआ है ब्याज पटना : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के लगभग तीस फीसदी सदस्यों के पीएफ खाते में ब्याज का पैसा नहीं जुटा हैं. इसके कारण ईपीएफओ के सदस्य परेशान है. मिली जानकारी के अनुसार यह परेशानी ईपीएफओ कार्यालय में हुए तकनीकी बदलाव के […]
लगभग तीस फीसदी सदस्यों के पीएफ खाते में जमा नहीं हुआ है ब्याज
पटना : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के लगभग तीस फीसदी सदस्यों के पीएफ खाते में ब्याज का पैसा नहीं जुटा हैं. इसके कारण ईपीएफओ के सदस्य परेशान है.
मिली जानकारी के अनुसार यह परेशानी ईपीएफओ कार्यालय में हुए तकनीकी बदलाव के कारण पिछले पांच माह से पीएफ खाते में ब्याज की राशि नहीं जुटा है. अधिकारियों की मानें तो तकनीकी बदलाव के कारण यह समस्या पैदा हुई थी. लेकिन अब समस्या लगभग दूर हो गया है. पीएफ खाते में ब्याज जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है. फिर भी लगभग 30 फीसदी सदस्यों के पीएफ खाते में ब्याज की राशि नहीं जोड़ गया है.
मिली जानकारी के अनुसार पटना में कुल सदस्यों की संख्या 4745 हैं जिनमें से 864 सदस्यों के पीएफ खाते में ब्याज की राशि नहीं जुटी है. वहीं भागलपुर में 1861 सदस्य हैं जिनमें से 798 सदस्यों के पीएफ खाते में ब्याज नहीं जोड़ जा सकता है. जबकि मुजफ्फरपुर में 2534 सदस्यों में से 869 सदस्यों के खाते में ब्याज की राशि जोड़ जाना का मामला लंबित है.
जो सदस्य अपना ब्याज राशि देखना चाहते है तो उन्हें पासबुक एप डाउनलोड करना होगा. उसके बाद वे अपने पीएफ खाते में जुड़ने वाले राशि को दे सकते हैं.
पासबुक में ईपीएफ अंशदान के बारे में सभी जानकारी होती है. न केवल आप अपना ईपीएफ बैलेंस जान पाते है, बल्कि अपने ईपीएफ खाते में दर्ज व्यक्तिगत जानकारी को भी चेक कर पाते हैं. जानकारों को कहना है कि सदस्यों को हर माह अपने खाते को एक बार अवश्य चेक करना चाहिए. अगर किसी प्रकार की त्रुटि हो, तो इस बारे में ईपीएफओ कार्यालय को जानकारी दें.
ऐसे होती है ब्याज की गणना
ईपीएफ पर ब्याज की गणना कर्मचारी और साथ ही नियोक्ता की ओर से किये गये योगदान पर की जाती है. ईपीएफ फंड में कर्मचारी की ओर से दिया जाने वाला योगदान उसके मूल वेतन और महंगाई भत्ता के 12 प्रतिशत के बराबर होता है जब महंगाई समेत मूल वेतन 15,000 या उससे कम होता है तो कर्मचारी के कुल योगदान में बेसिक-पे का 12 प्रतिशत और महंगाई भत्ता शामिल होता है जिसमें से नियोक्ता के योगदान में मूल वेतन का 3.67 प्रतिशत हिस्सा और महंगाई भत्ता शामिल होता है.
ओपनिंग बैलेंस पर गणना
एक बार नियोक्ता और कर्मचारी की ओर से किये गये योगदान की गणना के बाद इस योगदान पर मिलने वाले ब्याज की गणना की जाती है. ब्याज की गणना हर माह के ओपनिंग बैलेंस पर की जाती है. जैसा कि अगर पहले महीने के लिए ओपनिंग बैलेंस शून्य है. पहले माह पर अर्जित ब्याज भी शून्य होगा.
वहीं दूसरे महीने के लिए ब्याज की गणना एक माह के क्लोजिंग बैलेंस पर की जाती है, जो कि दूसरे महीने से ओपनिंग बैलेंस के समान होती है. पहले महीने के क्लोजिंग बैलेंस की गणना कर्मचारी और नियोक्ता के पहले माह के योगदान के आधार पर की जाती है.
ठीक इसी प्रकार तीसरे माह के ब्याज की गणना दूसरे महीने के क्लोजिंग बैलेंस के आधार पर की जाती है. वहीं दूसरे महीने के क्लोजिंग बैलेंस की गणना पहले माह के क्लोजिंग बैलेंस और दूसरे माह के लिए कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की ओर से किये गये कुल योगदान के आधार पर की जाती है.
साल के अंत में कर्मचारी के साथ-साथ नियोक्ता की ओर से किये गये योगदान की राशि में 12 महीनों में अर्जित ब्याज की राशि में जोड़ा जाता है. ऐसा कर जो परिणाम सामने आता है वो वर्ष के समापन पर क्लोसिंग ईपीएफ बैलेंस होता है. यह राशि दूसरे साल के लिए ओपनिंग बैलेंस बन जाती है.
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