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पटना : 46% शिशुओं को जन्म के बाद नहीं हो रहा मां का दूध नसीब
पटना : बिहार में जन्म लेने वाला हर दूसरा बच्चा मां के पहले दूध से वंचित है. प्रदेश में महज 53.8 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें जन्म के बाद मां का दूध नसीब हो रहा है. ये चौकाने वाले आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के हैं. कहीं-न-कहीं से यह कुपोषण का बड़ा कारण बन रहा […]
पटना : बिहार में जन्म लेने वाला हर दूसरा बच्चा मां के पहले दूध से वंचित है. प्रदेश में महज 53.8 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें जन्म के बाद मां का दूध नसीब हो रहा है. ये चौकाने वाले आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के हैं.
कहीं-न-कहीं से यह कुपोषण का बड़ा कारण बन रहा है. बच्चों को जन्म के बाद डिब्बे वाला या फिर गाय का दूध दिया जा रहा है. नतीजा प्रदेश के कई ऐसे जिले हैं, जहां स्थिति काफी खराब है. इस चौंकाने वाले आंकड़े के बाद स्वास्थ्य विभाग भी चकित हो गया है. हालांकि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्तनपान को लेकर पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं में जागरूकता आयी है.
कामकाजी महिलाएं नहीं करा रहीं स्तनपान : प्रदेश में स्तनपान का आंकड़ा कम होने का सबसे बड़ा कारण महिलाओं का कामकाजी होना पाया गया है. दरअसल सर्वे में पाया गया है कि कामकाजी महिलाएं अपनी ड्यूटी के लिए सुबह घर से निकल जाती हैं. नवजात को वे घर पर दूसरे के सहारे छोड़ देती हैं.
इतना ही नहीं ड्यूटी पीरियड में कामकाजी महिलाएं बच्चे को डिब्बे का दूध पिलाती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहर में बच्चों को कम स्तनपान कराया जा रहा है. यूनिसेफ और पटना ऑब्स एंड गायनी सोसाइटी के मेडिकल कॉन्फ्रेंस में यह बात सामने आ चुकी है. सोसाइटी की डॉक्टरों की मानें, तो शहरी महिलाएं जहां अधिक कामकाजी हैं, वहीं फिगर खराब होने के डर से भी स्तनपान नहीं कराती हैं.
वैक्सीन जैसा होता है मां का पहला दूध : मां का पहला दूध वैक्सीन की तरह होता है. इसमें कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने की ताकत होती है.
बच्चों के लिए दो साल तक मां का दूध बहुत जरूरी है. छह माह तक केवल मां का दूध पिलाएं और उसके बाद उम्र के साथ ठोस आहार भी दें. लेकिन दो साल तक मां का दूध देते रहें.
स्तनपान नहीं कराने से कैंसर का खतरा : नवजात को स्तनपान नहीं कराने से महिलाओं का दूध बाहर नहीं निकल पाता है. ऐसे में दूध अंदर जम कर गांठ बन जाता है. यह गांठ बाद में घाव का रूप धारण कर लेता है और अंत में यह कैंसर का रूप ले सकता है.
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