पटना: ट्रेन के कोच के गेट व पायदान से हादसों की फेहरिस्त लंबी होने के बावजूद सुधार की सूरत नहीं बन पा रही है. हादसों से यात्री सबक नहीं ले रहे हैं. इस मामले में रेल प्रशासन की सतर्कता और सख्ती भी नहीं दिख रही है.
हाल के दिनों की दुर्घटनाओं पर नजर डालें, तो आंकड़े इस बात को पुख्ता कर रहे हैं कि रेल प्रशासन के हाथ बिल्कुल ढीले पड़ गये हैं और हादसे बढ़ते जा रहे हैं. आरपीएफ की निगेहबानी पर भी सवाल उठने लगे हैं. नये वित्त वर्ष में रेलवे बोर्ड ने ट्रेन हादसों पर लगाम लगाने के लिए यात्र के दौरान ट्रेन कोच के गेट व पायदान पर यात्र करने पर जुर्माने की राशि बढ़ाने का फैसला किया था. एक अप्रैल, 2014 से 250 रुपये की जगह 500 रुपये जुर्माना लागू हो चुका है, पर कार्रवाई कागजों तक सिमट कर रह गयी है.
रेल प्रशासन द्वारा न तो जुर्माना लगाया जा रहा है और न तो आरपीएफ द्वारा सख्ती बरती जा रही है. ट्रेन में आरपीएफ स्कॉर्ट चलने के बाद भी ट्रेन के गेट व पायदान पर यात्र कर रहे लोगों को न तो हटाया जाता है और न ही उन्हें सतर्क किया जाता है. जबकि, अप्रैल में राजेंद्रनगर और पिछले 14 मई को पटना जंकशन पर हादसे हो चुके हैं. पटना जंकशन पर ट्रेन की छत, गेट व पायदान पर यात्र नहीं करने के लिए एनाउंसमेंट किया जाता है, इसके अलावा पोस्टर, हैंडविल भी लगाये जाते हैं, पर सुधार की गुंजाइश नहीं दिख रही है.