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खानकाह के सायरन व पटाखे की आवाज से करते हैं इफ्तार

II अजीत कुमार II फुलवारीशरीफ : फुलवारीशरीफ का प्रसिद्ध खानकाह-ए-मुजीबिया में वर्षों पहले तोप का गोला दागा जाता था. तोप की आवाज सुन कर ही रोजेदार रोजा खोलना शुरू करते थे. शहर में जब आबादी का विस्तार होने लगा तक तोप का गोला छोड़ने की रिवाज को समाप्त करके पटाखे फोड़ना शुरू कर दिया गया. […]

II अजीत कुमार II
फुलवारीशरीफ : फुलवारीशरीफ का प्रसिद्ध खानकाह-ए-मुजीबिया में वर्षों पहले तोप का गोला दागा जाता था. तोप की आवाज सुन कर ही रोजेदार रोजा खोलना शुरू करते थे. शहर में जब आबादी का विस्तार होने लगा तक तोप का गोला छोड़ने की रिवाज को समाप्त करके पटाखे फोड़ना शुरू कर दिया गया. आज भी फुलवारीशरीफ व आसपास के रोजेदार अभी भी खानकाह मुजीबिया के सायरन बजने व पटाखा छूटने के बाद ही इफ्तार करते हैं.
यहीं नहीं जब देर रात सायरन व पटाखा छूट जाता है, उससे पहले ही सहरी खा लेते हैं. खानकाह में सायरन बजने व पटाखे छूटने की परंपरा पिछले 250 वर्षों से अधिक समय से चल रही है, जो आज भी बदस्तूर कायम है. खानकाह के सज्जादानशीं की इजाजत मिलने के बाद रमजान में इफ्तार व सहरी के वक्त सायरन बजता है तथा पटाखा छूटता है. सायरन व पटाखे की आवाज सहरी के वक्त पांच से छह किलोमीटर तक सुनी जाती है, जबकि इफ्तार के वक्त वाहनों की आवाज की वजह से इसकी आवाज चंद किलोमीटर तक ही पहुंचती है.
शब-ए-बरात में बनवाये जाते हैं 70 पटाखे
रमजान से एक माह पहले यानी शब-ए-बरात के महीने में ही कारीगरों को खानकाह में बुलवा कर 70 पटाखा बनवाये जाते हैं.
कब-कब बजता है सायरन
रमजान मेें पूरे माह इफ्तार के वक्त व सहरी के समय के खत्म होने से पहले सायरन व पटाखा छोड़ा जाता है. इसके अलावा ईद व बकरीद की नमाज से पहले उस समय सायरन व पटाखा छूटता है जब हुजरे से सज्जादानशीं मस्जिद में तशरीफ लाते हैं.
इमारते शरिया ने सदका-ए-फितर का किया एलान
पटना : इमारत-ए-शरिया ने रमजान के मौके पर सदका-ए-फितर का एलान कर दिया है. इमारत-ए-शरिया के नायब काजी मौलाना अंजार आलम कासमी ने एलान किया है कि सदका-ए-फितर एक किलो 692 ग्राम गेहूं है.
इसकी कीमत अभी बाजार के हिसाब से 38 रुपये होती है. इसलिए अगर कोई पैसे से सदका अदा करना चाहे, तो एक आदमी की तरफ से 38 रुपये अदा करें. हर मालदार आदमी को सदका निकालना जरूरी है.
इस रकम को गरीबों के बीच बांटना है, ताकि वह ईद की नमाज के पहले कपड़े आदि की खरीदारी कर सके. ऐसा नहीं करने पर उक्त व्यक्ति का सितारा साल भर गर्दिश में रहता है. कुरान में आया है, ए ईमान वालों जो कुछ हमने तुम्हें अता किया है उसमें से (अल्लाह की राह में नेक काम में) खर्च करो.
बेशक सदका देनेवाले मर्द और औरतें और जिन्होंने अल्लाह को कर्ज-ए-हसन के तौर पर कर्ज दिया उन के लिए (इस का सवाब) कई गुना बढ़ा दिया जायेगा और उनके लिए इसका बेहतरीन अज्र होगा. माल को थैली में बंद करके न रखना वरना अल्लाह भी उसके खजाने में तुम्हारे लिए बंदिश लगा देगा, जहां तक हो सके लोगों में खैरात तकसीम किया करो.

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