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कोर्ट में फर्जी बहाली मामले में जिप सदस्य दोषी करार
व्यवहार न्यायालय में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने पाया दोषी मधेपुरा/पटना : व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित एडीजे प्रथम सह विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति, जनजाति रमण कुमार की अदालत ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए चौसा के जिला पार्षद रोहित सौरेन उर्फ चंदन यादव को धोखाधड़ी, कागजों के साथ फर्जीवाड़े के मामले में […]
व्यवहार न्यायालय में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने पाया दोषी
मधेपुरा/पटना : व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित एडीजे प्रथम सह विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति, जनजाति रमण कुमार की अदालत ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए चौसा के जिला पार्षद रोहित सौरेन उर्फ चंदन यादव को धोखाधड़ी, कागजों के साथ फर्जीवाड़े के मामले में दोषी ठहराया.
हालांकि सजा के बिंदु पर सुनवाई अभी बाकी है.मामले में सूचक दीपक कुमार पासवान के अनुसार रोहित सौरेन उर्फ चंदन यादव ने पटना उच्च न्यायालय में चतुर्थवर्गीय कर्मी की नौकरी दिलवाने के लिए अपने खाते में 25 हजार एवं 50 हजार रुपये लिये.
सूचक जब नौकरी में योगदान करने पटना उच्च न्यायालय पहुंचा, तो वहां पता चला कि ऐसी कोई नौकरी ही नहीं है. जब वापस आकर दीपक ने रोहित से पैसे की मांग की तो उसके साथ मारपीट की गयी तथा जाति सूचक गाली-गलौज भी की गयी. इस संदर्भ में चौसा थाने में मामला दर्ज करवाया गया, जो बाद में दलित वाद 357/17 में परिवर्तित हुआ. इस मामले में 19 अगस्त, 2017 को रोहित के विरुद्ध दर्ज है.
रोहित सोरेने ने हाईकोर्ट समेत विभिन्न कोर्ट में अनुसेवक के पद पर बहाली के नाम पर दीपक कुमार सहित सैकड़ों युवकों से राशि की उगाही की. बाकायदा उसने हाईकोर्ट की फर्जी वेबसाइट बनायी और हाईकोर्ट में इस पर बहाली से संबंधित फर्जी मेरिट लिस्ट भी बना ली. इस फर्जी मेरिट लिस्ट पर हाईकोर्ट की मुहर भी लगी थी. पटना उच्च न्यायालय के अधीन विभिन्न न्यायालयों में अनुसेवक के पद पर सीधी भर्ती के आधार पर परीक्षा एवं साक्षात्कार लेकर अभ्यर्थी का चयन कर उन्हें पदस्थापित भी दिखा दिया गया.
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