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बिहार : 500 सिपाही पटना पुलिस लाइन से लापता, डेढ़ सौ जवानों को किया गया चिह्नित…जानें क्‍या है मामला

पटना : पटना पुलिस लाइन में करीब 1500 सिपाही रहते हैं, जिन्हें रिजर्व या अन्य विशेष ड्यूटी के लिए रखा जाता है. परंतु इसमें 500 से ज्यादा सिपाही ऐसे हैं, जिनका कोई अता-पता ही नहीं या कहें ये लापता हो गये हैं. पुलिस मुख्यालय के आदेश पर डीआईजी राजेश कुमार ने जब इसकी जांच की, […]

पटना : पटना पुलिस लाइन में करीब 1500 सिपाही रहते हैं, जिन्हें रिजर्व या अन्य विशेष ड्यूटी के लिए रखा जाता है. परंतु इसमें 500 से ज्यादा सिपाही ऐसे हैं, जिनका कोई अता-पता ही नहीं या कहें ये लापता हो गये हैं. पुलिस मुख्यालय के आदेश पर डीआईजी राजेश कुमार ने जब इसकी जांच की, तो यह हकीकत सामने आयी. इस तरह की जांच करने का आदेश सभी जिलों में स्थित पुलिस लाइनों के लिए दिया गया है.
लापता सिपाहियों में फिलहाल 150 की पहचान हो चुकी है. शेष की पहचान चल रही है. लापता जवानों पर शोकॉज समेत अन्य स्तर पर कार्रवाई की तैयारी भी चल रही है. जब इनके बारे में गहराई से छानबीन की गयी, तो पता चला कि इसमें बड़ी संख्या में 200 से ज्यादा सिपाही पिछले एक साल से ज्यादा समय से फरार ही चल रहे हैं. इनका कोई अता-पता पुलिस विभाग के पास नहीं है कि ये कहां और क्या कर रहे हैं.
इसके अलावा 250 से 300 ऐसे जवानों के बारे में पता चला, जो बिना किसी काम या गुमनाम रूप से यहांपड़े हुए हैं. इस पूरे मामले में पुलिस लाइन के स्तर पर बड़े स्तर पर आंतरिक घालमेल भी सामने आयी है. जांच के बाद इन मामले में दोषी पाये गये, दो पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. इसमें पुलिस लाइन के मुंशी राजुप्रसाद और यहीं के दारोगा संजीव कुमार शामिल हैं. दारोगा पर रिकॉर्ड सही तरीके से मेंटेन नहीं करने के आरोप में कार्रवाई की गयी है.
एक साल से ज्यादा समय से फरार चल रहे जवानों का वेतन तुरंत रोकने और दो दिन के अंदर इनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जायेगी. इसके अलावा सभी बेकार पड़े या बिना काम वाले 50-50 जवानों की छह टीमें बना कर इन्हें क्राइम कंट्रोल में तैनात कर दिया गया है. इन्हें अलग-अलग थाना और पेट्रोलिंग में लगा दिया गया है.
अवैध ढंग से कर रहे वीआईपी की सुरक्षा
पुलिस लाइन में जवानों की तहकीकात में यह भी पता चला कि 100 से ज्यादा जवान अवैध रूप से किसी न किसी के बॉडीगार्ड बने हुए हैं. ये वैसे लोग हैं, जो तथाकथित रूप से वीआईपी हैं. बिना किसी सरकारी आदेश के ही ये अपने साथ सुरक्षा गार्ड लेकर चलते हैं.
ऐसे तथाकथित 50 वीआईपी को फिलहाल चिह्नित किया गया है, जिनसे तुरंत अंगरक्षक वापस ले लिये गये हैं. इनमें 35 जवानों को तुरंत कोतवाली थाने में तैनात रहने का आदेश दिया गया है. 50 मोटरसाइकिल पर दो-दो शस्त्रधारी जवानों को अलग-अलग थानों में विधि-व्यवस्था के काम में तैनात किये गये हैं. इसमें काफी संख्या में वैसे जवान भी हैं, जो पुलिस संगठनों के पदधारकों के साथ घूमते रहते हैं. ये अपनी धौंस की बदौलत कोई ड्यूटी नहीं करते हैं.
अन्य जिलों में मौजूद पुलिस लाइन में भी हालत ऐसी ही: राज्य के अन्य जिलों की पुलिस लाइनों में भी स्थिति कमोवेश ऐसी ही है. चूकिं पटना पुलिस लाइन में सबसे ज्यादा जवान तैनात हैं, इसलिए यहां काफी बड़े स्तर पर इस तरह की गड़बड़ी सामने आयी है. अन्य जिलों में भी जांच शुरू हो गयी है, जिसके बाद ऐसी बड़ स्तर पर गड़बड़ी सामने आने की पूरी संभावना है. पटना जिले में सबसे ज्यादा नौ हजार के आसपास पुलिस बलों की तैनाती है.
डीआईजी की जांच में खुलासा, 50 से ज्यादा सिपाही गलत तरीके से वीआईपी की सुरक्षा में थे तैनात
यह बेहद ही गंभीर मामला है. जिन पुलिस कर्मी को काम नहीं करना चाहते, वह नौकरी छोड़ दें. इस तरह लंबे समय से लापता जवानों की पहचान करके इनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. सभी जिलों की पुलिस लाइन में इस तरह की जांच के आदेश दिये गये हैं. ऐसी किसी गड़बड़ी में पाये जाने वाले सभी स्तर के पुलिस कर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.
पीके ठाकुर, डीजीपी, बिहार पुलिस
मुंशी और मेजर के स्तर पर होती है सेटिंग
मुख्यालय को इससे संबंधित प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस लाइन में इस तरह की धांधली के पीछे बड़े स्तर पर आंतरिक सेटिंग या घालमेल का होना कारण है. इसमें मुंशी से लेकर मेजर और यहां तैनात दारोगा समेत अन्य स्तर के कर्मी का हाथ मुख्य रूप से होता है.
यह भी पता चला है कि जिस सिपाही या जवान को फरार होना होता है, वह प्रत्येक महीने यहां के अधिकारियों को चढ़ावा चढ़ाते हैं और मनचाहा फल पाते हैं. सालों से गायब रहने वाले जवान या तो दूसरा काम, खेती या रोजगार करते हैं या कुछ ऐसे ही निठल्ले घूमते रहते हैं. कुछ ने अपना अच्छा-खासा गाड़ी चलवाने का या अन्य कोई व्यवसाय भी शुरू कर रखा है.

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