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पुराने नियम से जमा होंगे बालू चालान, परेशानी को लेकर कोर्ट का निर्देश
पटना : हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पुराने नियम के तहत ही बालू का चालान जमा किया जाये. न्यायाधीश ज्योति शरण की एकलपीठ ने इस संबंध में दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुये यह निर्देश दिया. अदालत को याचिकाकर्ता की ओर से यह बताया गया कि राज्य सरकार […]
पटना : हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पुराने नियम के तहत ही बालू का चालान जमा किया जाये. न्यायाधीश ज्योति शरण की एकलपीठ ने इस संबंध में दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुये यह निर्देश दिया. अदालत को याचिकाकर्ता की ओर से यह बताया गया कि राज्य सरकार पुराने नियम के अनुसार बालू का चालान जमा नहीं कर रही है इससे परेशानी हो रही है. अदालत को यह भी बताया गया कि पहले बालू खनन करने के बाद सीधे बाजार में इसे बेचा जाता था लेकिन अब सरकार ने नया नियम बना दिया है.
इसके तहत बालू खनन करने के बाद खान एवं भूतत्व विभाग के गोदाम में जमा किया जायेगा. उसके बाद इसे कहीं बेचने की प्रक्रिया शुरू होगी.
पटना : राजधानी में जगह-जगह लगने वाले जाम और लचर यातायात पर पटना के डीआईजी से हाईकोर्ट ने 19 जनवरी तक जवाब मांगा है. न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी और न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने अधिवक्ता शम्भू शरण सिंह की ओर से दायर लोकहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुये यह निर्देश दिया.
याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि अदालती आदेश के करीब छह वर्ष बाद भी राजधानी पटना की सड़कों पर अतिक्रमण और यातायात के परिचालन में दिक्कतें हैं. हर तरफ गंदगी और जाम पड़े नाले से शहर की हालत खराब है. अदालत ने डीआईजी को यह बताने का निर्देश दिया कि अदालती आदेश के छह वर्ष बीत जाने के बाद भी राजधानी की सड़कों की हालत ऐसी क्यों है? इसके कौन-से उपाय किये जा रहे हैं? न्यायमूर्ति प्रकाश चन्द्र वर्मा और न्यायमूर्ति आदित्य कुमार त्रिवेदी की खंडपीठ ने 13 जुलाई 2011 को इस मामले को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए डीआईजी को निर्देश दिया था कि राजधानी की सड़कों पर अवैध तरीके से संचालित दुकानों को हटाने और सुगम यातायात व्यवस्था सुनिश्चत करें.
अदालती आदेश के अनुपालन में कोताही बरतने पर डीआईजी के विरूद्ध अदालती आदेश की अवमानना का दोषी भी माना जायेगा. इसके अलावा अदालत ने पटना नगर निगम के आयुक्त को निर्देश दिया था कि पटना की सड़कों और नालों की सफाई सुनिश्चित करें. इस मामले में पटना नगर निगम की ओर से एक शपथ पत्र दायर कर कहा गया कि निगम अपना काम कर रहा है जबकि पटना के डीआईजी की ओर से समय की मांग की गयी.
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