पटना :बिहारमें नियोजित शिक्षकों का वेतनपिछलेपांच महीने से नहीं मिला है. शिक्षकसूबेमें जगह-जगहवेतनऔर समानवेतनमान कीमांगको लेकर काली पट्टी बांध रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार की ओर से रोजानाजारीहो रहे नये-नये फरमान उनके लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. जानकारी के मुताबिक बिहार सरकार ने शिक्षकों को अब एक नया फरमान जारी कर दिया है. उसकेमुताबिक शिक्षक औरखुलेमें शौच करने वालोंपर निगरानी रखेंगे.सरकारके इस फरमान का शिक्षक संघों ने विरोध किया है. माध्यमिक शिक्षक संघ ने,तो यहां तक कहा है कियहशिक्षकों के पद और गरिमा का अपमान है. वह कतई इस कार्य को नहीं करेंगे.
सरकारी आदेश के मुताबिक बिहार के हाइस्कूल के शिक्षक अब खुले में लोटा लेकर शौच जाने वालों पर अपनी नजर रखेंगे. साथ ही उन्हें खुले में शौच के खिलाफ जागरूक करेंगे और स्वच्छता के महत्व को समझाएंगे. शिक्षकों का यह भी काम होगा कि सुबह शाम वे इसकी निगरानी भी करेंगे. इस मामले में सभी बीईओ की तरफ से हाइस्कूल के शिक्षकों को यह निर्देश जारी किया गया है कि वह लोग खुले में शौच करने वालों को रोकेंगे और उनकी कठोर निगरानी करेंगे. इसके लिए शिक्षकों को ड्यूटी के लिए जहां पत्र भेजा गया है वहीं प्रधानाध्यापकों को शौचालय निगरानी का पर्यवेक्षक बनाया गया है.
सरकार के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बक्सर जिले के कोरान सराय पंचायत के मध्य विद्यालय के अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहने वाले और बच्चों की शिक्षा को लेकर सरोकारी प्रयास करते रहने वाले शिक्षक पूर्णानंद मिश्रा का कहना है कि बिल्कुल करेंगे सरकार, लेकिन पहले हमारे भोजन का मुक्कमल इंतजाम तो कर दीजिए. पांच माह से वेतन नहीं दिये और शौच की निगरानी का का फरमान निकाल दिये! जनगणना , पशुगणना, चुनाव , बी पी एल, निर्वाचन सूचि, ओ-डी-एफ और मध्याह्न भोजन , सब कुछ तो करते आ रहे सिर्फ पढ़ाई के अलावे, अब तो अंडा भी खिलाने लगे सुशासन बाबू. गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिये यही एक काम बच गया था हमारे लिये, उसे भी आपने पूरा कर ही दिया.
ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच को रोकने के लिए शिक्षकों को साथ लेकर वार्ड स्तर का सदस्य बनाया गया है. इसमें शिक्षकों का काम होगा कि स्वच्छता अभियान के तहत बनने वाले शौचालय का शिक्षक निरीक्षण करेंगे. उसके निर्माण कार्य का जायजा लेंगे और उसका भौतिक सत्यापन कर उसकी रिपोर्ट ागे देंगे. नयी जिम्मेवारी के साथ-साथ सप्ताह में दो दिन कार्यों की समीक्षा के लिये बैठक करने का भी दिशा-निर्देश दिया गया है. शिक्षकों का कहना है कि उनके ऊपर पहले से ही कई तरह के गैर शैक्षणिक कार्य करने की जिम्मेदारी है, जिसके तहत वे वोटर लिस्ट निर्माण और जनगणना का काम देखते रहे हैं. इतना ही नहीं बीच-बीच में शराबबंदी और दहेज विरोधी अभियान के लिए भी उन्हें कुछ न कुछ कार्य थमा दिया जाता है.
सरकार के इस फरमान के खिलाफ माध्यमिक शिक्षक संघ ने जोरदार प्रतिक्रिया दी है. मीडिया से बातचीत में संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने साफ कहा है कि यह सरकार का आदेश नहीं बल्कि पागलपन है. शिक्षकों को ऐसे कार्य में लगाना उनकी गरिमा और पद को ठेस पहुंचाना है. संघ ने सरकार से साफ कहा है कि सरकार इस फरमान को तुरंत वापस ले, वरना शिक्षक संघ इस मसले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखेगा.
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