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बिहार में हर साल 18 हजार बच्चों की निमोनिया से मौत
पटना : बिहार में एक लाख 40 हजार बच्चों की मौत हर साल की हो रही है. इन बच्चों की उम्र जीरो से पांच साल के बीच है. इनमें 13 प्रतिशत निमोनिया के कारण मौत होता है. यानी करीब 18 हजार बच्चे निमोनिया के कारण बिहार में मर जाते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण […]
पटना : बिहार में एक लाख 40 हजार बच्चों की मौत हर साल की हो रही है. इन बच्चों की उम्र जीरो से पांच साल के बीच है. इनमें 13 प्रतिशत निमोनिया के कारण मौत होता है. यानी करीब 18 हजार बच्चे निमोनिया के कारण बिहार में मर जाते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण माता पिता में जागरूकता की कमी है.
यह कहना है इंडियन एकेडमिक ऑफ पीडियाट्रिक्स एसोसिएशन के सचिव व बच्चा रोग विशेषज्ञ डॉ एनके अग्रवाल का. वे 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस से पूर्व एसोसिएशन द्वारा शुक्रवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे.
सम्मेलन में डॉ उत्पल कांत सिंह ने कहा कि निमोनिया बीमारी के मामले में पूरे भारत में यूपी के बाद बिहार का दूसरा स्थान है. उन्होंने कहा कि 2025 तक इस बीमारी से मरने वाले बच्चों की संख्या को कम से कम करने का लक्ष्य रखा गया है. एक हजार में तीन बच्चे की मौत हो इसका लक्ष्य बनाया गया है.
वहीं डॉ एनके अग्रवाल ने कहा कि इससे बचने के लिए माता पिता बच्चों के खान-पान और अन्य बातों पर विशेष ध्यान दें. बच्चों को संतुलित खाना खिलाएं व शुद्ध पानी पिलाएं. उन्होंने कहा कि खाना खाने के पहले व बाद में व शौचालय के बाद साबुन से हाथ धोना व जन्म से दो साल तक मां का दूध पिलाना, शौचालय में शौच कराने आदि से बच्चे निमोनिया से बच सकते हैं.
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