अगर छठ पूजा न हो तो कई वर्षों तक ये घर नहीं आतें. लेकिन छठ पर ये छुट्टी लेना नहीं भूलते और पटना की ओर बढ़ते चले आते हैं. यह सिलसिल अभी खरना के दिन तक जारी रहेगा. कुछ को पहले छुट्टी मिल गयी तो कुछ तो बाद में लेकिन कोई भी आस्था के इस बड़े त्योहार को मिस नहीं करना चाहता.
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छठी मईया की पूजा के लिए घर पहुंचे परदेशी
पटना: लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर केवल दिल्ली, मुंबई ही नहीं बल्कि विदेशों से लोग घर आने लगे हैं. एयरपोर्ट हो या बस अड्डा या फिर रेलवे स्टेशन सभी जगहों पर एक सा नजारा देखने को मिल रहा है. इनमें कई ऐसे लोग हैं जो पूरे साल किसी त्योहार में घर नहीं आते […]
पटना: लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर केवल दिल्ली, मुंबई ही नहीं बल्कि विदेशों से लोग घर आने लगे हैं. एयरपोर्ट हो या बस अड्डा या फिर रेलवे स्टेशन सभी जगहों पर एक सा नजारा देखने को मिल रहा है. इनमें कई ऐसे लोग हैं जो पूरे साल किसी त्योहार में घर नहीं आते हैं, लेकिन छठ पूजा उन्हें अपने घर खींच ही लाती है.
पटना पहुंचा तो यादें हो गयीं ताजी
पटना में बड़ी संख्या में रविवार को भी लोग छठ पूजा के लिए पहुंचे. स्टेशन पर हाथों में सुटकेश लिये घर पहुंचे लोगों पर छठ पूजा में शामिल होने की खुशी साफ झलक रही थी. घर पहुंचते ही कई घरों में लंबे समय के बाद खुशनुमा माहौल देखने को मिला. भूली बिसरीं यादें ताजा होने लगीं. सभी एक दूसरे से गप्पे शप्पे मारने में व्यस्त हो गये. परदेशी जहां जहां से आये थे वहां की कहानियां सुनाने लगें. कई अपने पुराने दोस्तों से मिलने निकल गये और दिन भर दोस्तों से मिलने में ही गुजार दिया. वहीं कई लोग लंबे समय से घर नहीं आये थे तो दिन भर अपने घरों में ही चिपके रहे और अपने भतीजे और भांजे के साथ खेलने में समय बिताया. साथ ही साथ छठ पूजा को लेकर हल्की फुल्की खरीदारी भी शुरू हो गयी. रिश्तेदार आते ही पूजा के लिए सामग्री आदि की मार्केटिंग में भी लग गये हैं ताकि पूजा में किसी तरह की कोई परेशानी न आये. कुछ लोग गंगा तटों पर घाटों का जायजा लेने भी पहुंच गये. तो कुछ छत पर ही हौद का निर्माण कराने में लग गये.
हमलोग दिल्ली एनसीआर में रहते हैं और साल में एक या दो बार ही मौका मिलता है घर आने का. अन्य त्योहार में हम आयें या न आयें लेकिन छठ पर घर जरूर आती हूं इस त्योहार की यादें हमेशा हमारी जेहन में कैद हैं. हर साल एक अलग एहसास होता है.
श्वेता रंजन, हनुमान नगर
मैं पटना से बाहर रहता हूं लेकिन छठ पूजा में घर आना नहीं भूलता. मेरे घर छठ नहीं होता फिर भी अपने दोस्तों के घर छठ पूजा में मैं हर वर्ष शामिल होता हूं. ठेकुआ का प्रसाद खाने का मौका भी इसी मिलता है. शायद ही कोई साल रहा होगा जब मैं छठ पूजा में शामिल नहीं हुआ.
राहुल राज, शिवाजी नगर, जक्कनपुर
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