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एक वर्ष में हुई 484 मौतें, फिर भी नहीं लग रहे स्पीड गवर्नर
सड़क दुर्घटना में पटना देश में चौथे स्थान पर पटना : सड़क दुर्घटना में हुई मौत के मामले में पटना जिला देश में चौथे स्थान पर है. इसका खुलासा पिछले दिनों नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों से हुआ है. मंगलवार को स्थानीय गार्गी ग्रैंड होटल में सड़क सुरक्षा पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित […]
सड़क दुर्घटना में पटना देश में चौथे स्थान पर
पटना : सड़क दुर्घटना में हुई मौत के मामले में पटना जिला देश में चौथे स्थान पर है. इसका खुलासा पिछले दिनों नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों से हुआ है.
मंगलवार को स्थानीय गार्गी ग्रैंड होटल में सड़क सुरक्षा पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य डॉ कमलजीत सोई ने आगे कहा कि आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016 में पटना जिला में सड़क दुर्घटना के शिकार 923 लोग हुए. इनमें 510 गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें 484 की मौत हो गयी. पिछले साल की तुलना में ये आंकड़े काफी अधिक हैं और पटना लुधियाना, अमृतसर और अंबाला के बाद सड़क दुर्घटना में हुई मौतों के मामले में देश में चौथे स्थान पर पहुंच गया है. बावजूद स्पीड गवर्नर लगाने की दिशा में प्रयास नहीं हो रहा.
55-60 फीसदी मौत की वजह ओवर स्पीडिंग
क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों से पता चला है कि देश के विभिन्न भागों में हुई सड़क दुर्घटनाओं के 55-60 फीसदी मामलों में वजह ओवर स्पीडिंग होती है. इनमें 40 से 50 फीसदी मामले व्यावसायिक वाहनों के होते हैं. यदि गति सीमा का ठीक से पालन हो, तो इन्हें रोका जा सकता है. स्पीड गवर्नर लगाने से दुर्घटना 50 फीसदी तक कम हो सकती है. कुल मौतों में 20-25 फीसदी तक की कमी आ सकती है.
नये व्यावसायिक वाहनों में लग कर आ रहे स्पीड गवर्नर : एक अक्तूबर 2016 के बाद से बननेवाले बड़े व्यावसायिक वाहनों में स्पीड गवर्नर लग कर ही आ रहे हैं. सिर्फ बड़े व्यावसायिक वाहन ही नहीं बल्कि इनोवा, पिक अप वैन, महिंद्रा जाइलो जैसे एम-1 कैटोगरी के वाहनों में भी स्पीड गवर्नर लग कर आ रहे हैं, जिनमें आठ या उससे अधिक आदमी बैठ सकते हैं.
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