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BIHAR : ऐसे ही नहीं होता प्रद्युम्न हत्याकांड, प्राइवेट स्कूलों के कर्मियों का पुलिस के पास डेटाबेस नहीं

सबकुछ राम भरोसे : शिकायत मिलने पर ही जांच व कार्रवाई करती है पुलिस पटना : राजधानी में भी प्राइवेट स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था का हाल खराब है. सबकुछ राम भरोसे है. हाइप्रोफाइल हो या छोटे स्कूल, कैंपस में सुरक्षा के मसले पर सब फेल हैं. स्कूल में काम करने वाले कर्मचारियों की कोई जांच-पड़ताल […]

सबकुछ राम भरोसे : शिकायत मिलने पर ही जांच व कार्रवाई करती है पुलिस
पटना : राजधानी में भी प्राइवेट स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था का हाल खराब है. सबकुछ राम भरोसे है. हाइप्रोफाइल हो या छोटे स्कूल, कैंपस में सुरक्षा के मसले पर सब फेल हैं.
स्कूल में काम करने वाले कर्मचारियों की कोई जांच-पड़ताल नहीं होती है. कर्मचारियों के पर्सनल डिटेल के बारे में न तो पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाता है और न ही पुलिस को कोई डेटाबेस ही सौंपा जाता है. स्कूल में बस चलाने वाले, खलासी समेत अन्य छोटे कर्मचारियों का डिटेल स्कूल के पास होता है, लेकिन पुलिस द्वारा इनका सत्यापन स्कूल प्रबंधन नहीं कराता है. ये हाल तब है जब देश के कई शहरों में स्कूल कैंपस में छोटे कर्मचारियों द्वारा बच्चों की हत्या, यौन शोषाण जैसी घटनाएं लगातार हो रही हैं. शहर के स्कूल प्रबंधन की यह लापरवाही भारी पड़ सकती है.
स्कूल प्रबंधन और पुलिस में कम्यूनिकेशन गैप : दरअसल स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर जो एहतियात बरतनी चाहिए वो न तो स्कूल प्रबंधन बरत रहा है और न ही पुलिस. दोनों में इस मसले पर कम्यूनिकेशन गैप साफ दिख रहा है.
जबकि स्कूल कैंपस में काम करने वाले सभी लोगों का पुलिस वेरिफिकेशन होना जरूरी है. पुलिस के पास सबका डेटाबेस होना चाहिए, जिससे किसी प्रकार की घटना होने पर उस कर्मचारी के भूमिगत होने से पहले उसे पकड़ा जा सके.
लेकिन, स्कूल प्रबंधन इसके लिए तैयार नहीं है. इस संबंध में गांधी मैदान, एसके पुरी, बुद्धा कॉलोनी और बाइपास इलाके के थाने अपने क्षेत्र में मौजूद स्कूलों में किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर उसे अटेंड करते हैं. स्कूल प्रबंधन या फिर अभिभावक अगर बच्चों के संबंध में कोई शिकायत करते हैं तो पुलिस मामले की जांच करती है और आवश्यक कार्रवाई करती है.
पटना : स्कूली वाहनों में आवागमन करनेवाले बच्चों को भले ही सुरक्षित माना जाये, लेकिन वाहनों में सुरक्षा नियमों के तहत समुचित व्यवस्था नहीं है.
नियमत: बसों पर दोनों तरफ स्पष्ट अक्षरों में स्कूल का नाम लिखा होना चाहिए, जबकि ऐसी कई बसें देखी जा सकती हैं, जिन पर ‘स्कूल बस’ तो लिखा है, लेकिन स्कूल का नाम नहीं है. इसके अलावा ऐसे कई निर्देश व नियम हैं, जिनका पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है. सुरक्षा की दृष्टिकोण से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीएसई ने पिछले 23 फरवरी को स्कूल बसों के लिए गाइडलाइन जारी किया था. बोर्ड ने सभी संबद्धता प्राप्त स्कूलों को गंभीरता से पालन करने का निर्देश भी दिया था.
बसों में न तार की जाली, न सीसीटीवी कैमरा : स्कूल बसों की खिड़की में क्षैतिज ग्रिल और तार की जाली लगानी है. ताकि बच्चे हाथ या सिर खिड़की से बाहर नहीं निकाल सकें. शहर में किसी भी स्कूल बस में इस निर्देश का अनुपालन नजर नहीं आता. यह बसों के फिटनेस पर सवाल है.
सीबीएसइ से संबद्धता प्राप्त स्कूलों की ओर से संचालित बसों का तो यह हाल है ही, ऑटो व वैन की स्थिति और भी चिंताजनक है. उसमें भी न तो तार की जाली है और न ही अन्य इंतजाम. परिणाम सड़कों पर देखा जा सकता है, बच्चों के हाथ खिड़की से बाहर आते रहते हैं.
नियम : बाहरी हिस्से के लिए
बस का रंग पीला हो. उसके दोनों तरफ स्कूल का नाम काले अक्षरों में लिखा होना चाहिए
बस स्कूल की है या किराये की, ऑन स्कूल ड्यूटी आदि स्पष्ट अक्षरों में लिखा होना चाहिए
चालक का नाम, पता, बैज नंबर, लाईसेंस नंबर या बस मालिक का नाम, फोन नंबर, हेल्पलाइन नंबर आदि लिखा होना चाहिए
भीतरी हिस्से के लिए
खिड़की पर क्षैतिज ग्रिल, ताल की जाली लगी होनी चाहिए
दरवाजे में लॉक लगा हो
आपातकालीन दरवाजे हों
स्पीड गवर्नर लगा हो, गति सीमा 40 से अधिक न हो
चालक की केबिन व आपातकालीन दरवाजे के पास एक-एक अग्निशामक यंत्र लगा हो.
हर बस में जीपीएस व सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए
फर्स्ट एड बॉक्स
मानव संसाधन व योग्यता
स्कूल में एक ट्रांसपोर्टिंग मैनेजर, जो सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार हो
चालक को कम-से-कम पांच वर्ष का अनुभव व वैध लाइसेंस हो
हर बस में एक प्रशिक्षित महिला गार्ड की तैनाती हो
राजधानी के स्कूल ऑटो व वैन चालकों से अनजान
पटना : गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में बस चालक द्वारा सात वर्षीय छात्र प्रद्युम्न की हत्या ने अभिभावकों को दहला दिया है. शहर के स्कूलों की मानें, तो बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कदम उठाये गये हैं. लेकिन यदि किसी तरह की अनहोनी या अप्रिय घटना की आशंका के सवाल पर जवाब स्पष्ट नहीं है.
स्कूलों का बस के चालकों और ऑटो के चालकों से संबंधित व्यक्तिगत जानकारी को लेकर जवाब अलग-अलग है. स्कूल बताते हैं कि आया समेत अन्य चतुर्थवर्गीय कर्मियों को प्रक्रिया के तहत ही नियोजित किया जाता है. बस चालकों के आधार कार्ड व अन्य आवश्यक कागजात उनके पास उपलब्ध हैं. लेकिन, ऑटो चालकों से संबंधित दस्तावेज नाममात्र ही मिलेंगे. स्कूल यह भी मानते हैं कि बच्चों की समुचित सुरक्षा के लिए प्रशासनिक सहयोग जरूरी है.
कई चालकों के बारे में कोई जानकारी नहीं : शहर में स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों के लिए बस सुविधा पर्याप्त नहीं है. इस कारण अनेक विद्यार्थी ऑटो व वैन से भी स्कूल आना-जाना करते हैं. ऑटो व वैन चालकों के आधार कार्ड समेत अन्य कागजात व मूलभूत जानकारी से स्कूल अनजान हैं. बताया गया कि कुछ चालकों के कागजात व जानकारी स्कूल के पास है, लेकिन कई के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
नजदीकी थाने को सौंपी गयी है सूचना : स्कूल बताते हैं कि बस चालक व खलासियों से संबंधित सूचना स्थानीय थाने को सौंपी गयी है. इस संबंध में ट्रांसपोर्ट विभाग ने निर्देश दिया था. इसके बाद संबंधित सूचनाएं सौंपी गयी हैं.
राजधानी के स्कूल प्रबंधकों ने कहा
आया हो या अन्य चतुर्थवर्गीय कर्मी, प्रक्रिया के तहत ही उन्हें बहाल किया जाता है. स्कूल बस के चालक व खलासियों के संबंध में व्यक्तिगत सूचना व आवश्यक कागजात स्कूल के पास हैं. रही बात ऑटो चालकों की, तो उनके संबंध में किसी तरह की जानकारी मिल पाना संभव नहीं है. अपने विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर स्कूल की ओर से यथासंभव सभी उपाय किये गये हैं. इसके अलावा स्थानीय प्रशासन का सहयोग भी अपेक्षित है.
ब्रदर एसके डॉन, प्राचार्य, लोयोला स्कूल
स्थानीय पुलिस को बस कर्मियों से संबंधित सूचना सौंपी गयी है. इस संबंध में ट्रांसपोर्ट विभाग का निर्देश प्राप्त हुआ था. स्कूल में चतुर्थवर्गीय कर्मियों की नियुक्ति भी प्रक्रिया के तहत व पूरी जांच-पड़ताल के बाद की जाती है. विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर स्कूल गंभीर व संवेदनशील है.
डॉ राजीव रंजन सिन्हा, प्राचार्य, बाल्डविन एकेडमी

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