पटना: भागलपुर के सृजन घोटाले में एक अन्य मुख्य अभियुक्त सुपौल के जिला सहकारिता पदाधिकारी पंकज झा को आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की विशेष टीम ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया. उनकी गिरफ्तारी सुपौल स्थित उनके आवास से की गयी है. वर्ष 2013 में जब वह भागलपुर में जिला सहकारिता पदाधिकारी के पद पर तैनात थे, तो उन्होंने सृजन संस्थान को पांच करोड़ का फर्जी चेक दे दिया था.
गिरफ्तारी के बाद इनके पटना में दीघा के पास स्थित मिथिला कॉलोनी में उनके आवास की गहन तलाशी ली गयी. यहां उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं. इनकी पत्नी भी सृजन से जुड़ी हुई हैं. वह सृजन से साड़ी समेत अन्य कपड़े लेकर अपने मोहल्ले में ही दुकान चलाती हैं. दुकान में अन्य सामान की बिक्री के साथ-साथ पैसे के लेन-देन से जुड़ी गतिविधि होती थी या नहीं, इसकी जांच चल रही है.
पंकज झा पर भ्रष्टाचार का यह आरोप पहली बार नहीं लगा है. वर्ष 2015 में भी निगरानी ब्यूरो ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुकदमा दर्ज किया था. इस दौरान भी इनके घर की तलाशी ली गयी थी. यह मामला अभी भी निगरानी के न्यायालय में चल ही रहा था. परंतु अपनी पैरवी और पहुंच की बदौलत पंकज सेवा से निलंबित नहीं हुए. जब उनकी फाइल सहकारिता विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव के पास से होते हुए तत्कालीन मंत्री के पास पहुंची, तो इनकी निलंबन की कार्रवाई को हटाते हुए सिर्फ विभागीय कार्रवाई चलाने की बात कही गयी. महज औपचारिकता के आधार पर ही इनके खिलाफ कार्रवाई की गयी. इतना गंभीर आरोप लगने के बाद भी वह अपने पद पर लगातार बने रहे. इस बार सृजन घोटाले में बड़े स्तर पर गड़बड़ी करने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की गयी है.
सृजन के अपने खाते में महज 18 करोड़
भागलपुर की बहुचर्चित सृजन घोटाले की प्रारंभिक जांच सहकारिता विभाग कर चुकी है. घोटाला उजागर होने के बाद विभाग ने इस सहकारी संस्था की जांच के लिए जांच टीम गठित की थी. टीम जल्द ही अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपेगी. सूत्रों के अनुसार सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के अपने बैंक खाते में सिर्फ 18 करोड़ रुपये हैं. विभाग ने शशिशेखर सिन्हा के नेतृत्व में चार सदस्यी टीम का गठन किया था. सूत्रों के अनुसार ज टीम ने अपनी जांच में पाया है कि वित्तीय वर्ष 2015- 16 के तहत 31 मार्च 2016 के अंकेक्षण में सृजन के अपने बैंक खाते में 18 करोड़ रुपये हैं.
यह राशि समिति के सदस्यों के चंदे की है. सरकार के किसी विभाग का पैसा नहीं है. बताया जाता है कि विभाग पूर्व के अंकेक्षण रिपोर्ट की मांग पहले के अंकेक्षक से की है. अगर दो बैंक खाता रख कर कार्य करने का आरोप प्रमाणित होने पर समिति पर प्राथमिकी दर्ज करायी जा सकती है. विभाग ने सृजन सहकारी के निबंधन को निलंबित कर दिया है. बताया जाता है कि जल्द ही सृजन सहकारी संस्था के निबंधन को रद्द करने की कार्रवाई होगी.