पटना :अंतरराष्ट्रीय अंगदान दिवस पर दधीचि देहदान समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समिति के मुख्य संरक्षक व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि देहदान व अंगदान के जरिये अमरत्व की प्राप्ति संभव है. जीवन में अच्छा काम नहीं करनेवाला कोई व्यक्ति भी अंगदान व देहदान कर बढ़िया काम कर सकता है. तमिलनाडु व दक्षिण भारत के राज्यों की तरह अगले दो-तीन साल में बिहार भी नेत्रदान व अंगदान में आगे रहेगा. प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में ‘आई बैंक’ की स्थापना के साथ ही राज्य के किसी एक बड़े अस्पताल को अंग प्रत्यावर्तन अस्पताल के रूप में विकसित करने की पहल की जायेगी.
मोदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में अंगदान की परंपरा काफी पहले से रही है. देवासुर संग्राम में वज्र बनाने के लिए जहां महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थियों का दान किया था. वहीं, भगवान विष्णु आदि चक्षु दानकर्ता है. समाज व मानव कल्याण के लिए अंगदान के ये सर्वोत्तम उदाहरण हैं. मानव शरीर मृत्यु के उपरांत किसी को जीवन देने में काम आये, इससे बेहत्तर इसका कोई उपयोग नहीं हो सकता है. अंगदान और देहदान कर कोई व्यक्ति अपने जीवन की दूसरी पारी खेल सकता है.नानाजी देशमुख और ज्योति बसु ने अपना देहदान किया था.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से रक्तदान कर हम किसी के जीवन की रक्षा करते हैं और नेत्रदान कर दूसरों की जिंदगी में रोशनी भर सकते हैं, उसी प्रकार अंगदान और देहदान करके भी कई लोगों को नयी जिंदगी दे सकते हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर प्रति तीन माह पर रक्तदान करते हैं. पटना की एक सामाजिक संस्था से जुड़ा एक व्यक्ति अब तक 76 बार रक्तदान कर चुका है.
कार्यक्रम का उद्धाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया तथा अध्यक्षता दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष व पूर्व विधान पार्षद गंगा प्रसाद ने की. कार्यक्रम को संबोधित करनेवालों में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय व दीधा के विधायक डॉ संजीव चौरसिया थे. कार्यक्रम में पटना की मेयर सीता साहु, आईजीआइएमएस के निदेशक डॉ एनआर विश्वास, पटना के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल, समिति के सदस्य व नेत्ररोग विषेषज्ञ डॉ सुभाष प्रसाद, डॉ. नीलेश मोहन, डॉ. राजीव कुमार, अभिजित कश्यप, अमृता भूषण, विनीता मिश्रा आदि प्रमुख थे. कार्यक्रम का संचालन समिति के महामंत्री विमल जैन ने किया.