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क्या अदालती आदेश डस्टबीन में फेंकने के लिए होता है : हाइकोर्ट
तल्ख िटप्पणी. मगध विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर से कोर्ट ने किया सवाल पटना : गया के टेकारी स्थित महिला महाविद्यालय से संबंधित मामले में अदालती आदेश के बाद भी समय पर उचित निर्णय नहीं लेने से नाराज पटना हाइकोर्ट ने शिक्षा विभाग के तत्कालीन एडिशनल सेक्रेटरी व मगध विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर को कड़ी फटकार […]
तल्ख िटप्पणी. मगध विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर से कोर्ट ने किया सवाल
पटना : गया के टेकारी स्थित महिला महाविद्यालय से संबंधित मामले में अदालती आदेश के बाद भी समय पर उचित निर्णय नहीं लेने से नाराज पटना हाइकोर्ट ने शिक्षा विभाग के तत्कालीन एडिशनल सेक्रेटरी व मगध विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर को कड़ी फटकार लगायी है.
कोर्ट ने पूछा है कि क्या अदालती आदेश डस्टबीन में फेंकने के लिए होता है? शुक्रवार को दोनों पदाधिकारी अदालत में उपस्थित हुए थे. न्यायाधीश चक्रधारीशरण सिंह की एकलपीठ ने महिला महाविद्यालय टेकारी की ओर से दायर रिट याचिका पर शुक्रवार को सुनवायी करते हुए उक्त निर्देश दिया.
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि महिला महाविद्यालय की सैकड़ों छात्राओं को बीए पार्ट 1, 2, 3 का परीक्षा फाॅर्म भरने की अनुमति नहीं दी जा रही है. साथ ही अदालत को यह भी बताया गया कि अदालत ने 22 अगस्त, 2016 को ही एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए उक्त महाविद्यालय के बारे में उचित निर्णय लेने का निर्देश शिक्षा विभाग को दिया था.
इसके बावजूद राज्य सरकार द्वारा अदालत को कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया कि उक्त महाविद्यालय की समाप्त की गयी मान्यता को पुनः बहाल की गयी है अथवा नहीं. शुक्रवार को सुनवाई के क्रम में मगध विश्वविद्यालय की ओर से अदालत को बताया गया कि संबंधित महाविद्यालय की संबद्धता वर्ष 2012 में ही समाप्त हो गयी थी. इसके बाद वर्ष 2012-13 से लेकर 2015-16 के शैक्षणिक सत्र के लिए अस्थायी संबद्धता प्रदान की गयी थी.
टूरिस्ट बसों में स्लीपर लगाना वैध
प्रदेश में चल रही टूरिस्ट बसों में प्रावधानों का उल्लंघन कर स्लीपर लगाने के विरुद्ध जनहित याचिका दायर हुई थी. इसमें केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन कर ऐसी बसों के संचालन की अनुमति दे दी गयी है. पटना हाइकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिका को निष्पादित कर दिया. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस डाॅ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने निखिल कुमार सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कहा कि टूरिस्ट बसों में स्लीपर लगाना वैध है. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि सूबे में चल रही टूरिस्ट बसों में मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है.
प्रेमी जोड़े को नहीं मिला था संरक्षण
बालिग होने और स्वेच्छा से एक-दूसरे से विवाह के इच्छुक प्रेमी जोड़े को नियमानुसार संरक्षण नहीं देने पर हाइकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. इस मामले में नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
जस्टिस डॉ रवि रंजन एवं जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने ललित कुमार की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. याचिकाकर्ता ने बताया कि प्रेमिका को जबरदस्ती सुधार गृह भेज दिया गया है, जबकि दोनों बालिग हैं. याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को यह भी बताया गया कि इस संबंध में उन्होंने एक आवेदन महिला थाना और सहायक थाना कटिहार को भी देकर सुरक्षा देने की मांग की थी.
अपडेटेड खतिहान पर सरकार से जवाब तलब
जमीन का अपडेटेड खतिहान उपलब्ध नहीं होने पर पटना हाइकोर्ट ने गंभीरता दिखाते हुए राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर कार्रवाइयों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है.
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन व जस्टिस डाॅ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने अधिवक्ता शंभुशरण सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि सूबे में आजादी के पहले वर्ष 1835 में कैरेक्टर सर्वे हुआ था. इसके बाद रिवीजन सर्वे कराया गया, जो 1935 में समाप्त हो गया. रिवीजन सर्वे में जिन लोगों का नाम चढ़ाया गया था उनके वंशज खतिहान के आधार पर भूमि पर दावा करते हुए जमीन बेच रहे हैं.
इससे विवाद हो रहा है. वहीं राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया की सूबे की भूमि से संबंधित मामले को लेकर वित्त मंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक कर इस संबंध में विचार किया गया है. इस पर जल्द ही ठोस निर्णय लिया जायेगा.
पूर्व आपदा मंत्री की सुरक्षा हटाने के आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती : सूबे के पूर्व आपदा मंत्री और राजद विधायक प्रो चंद्रशेखर को मिली विशेष सुरक्षा को राज्य सरकार द्वारा वापस लेने के निर्णय को चुनौती देते हुए पटना हाइकोर्ट में शुक्रवार को रिट याचिका दायर की गयी. इसमें बताया गया है कि पूर्व मंत्री को जो विशेष सुरक्षा मिली थी वह उनके मंत्री बनने के पहले से ही थी, क्योंकि उन पर जानलेवा हमला हो चुका था. याचिका में यह भी बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा विशेष सुरक्षा की वापसी का निर्णय दुर्भावना से प्रेरित और बदले की कार्रवाई है.
जेल उपाधीक्षक को प्रोन्नति नहीं देने पर 25 को गृह आयुक्त तलब : अदालती आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता को कटिहार जेल उपाधीक्षक के पद से जेल अधीक्षक के पद पर प्रोन्नति नहीं दिये जाने से नाराज पटना हाइकोर्ट ने सूबे के गृह आयुक्त को 25 अगस्त को अदालत में तलब किया है. साथ ही यह निर्देश दिया कि यदि इस बीच अदालती आदेश का अनुपालन कर दिया जाता है, तो उपस्थिति आवश्यक नहीं होगी. जस्टिस अंजना मिश्रा की एकलपीठ ने राम सुमेर शर्मा की ओर से दायर अवमाननावाद में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि मामले में जूनियर की प्रोन्नति कर दी गयी है.
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