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टाउनशिप के लिए कब्जे में नहीं आयी जमीन
दीघा 1024 एकड़ विवाद. प्रोजेक्ट पर अब तक अटका काम, मुक्ति के लिए नहीं जमा हुआ पैसा अनिकेत त्रिवेदी पटना : दीघा में आवास बोर्ड की ओर से वर्षों से प्रस्तावित टाउनशिप की योजना सुस्त पड़ गयी है. बिहार राज्य आवास बोर्ड पैसे के अभाव में दीघा के 1024.52 एकड़ के प्रोजेक्ट पर अपना कदम […]
दीघा 1024 एकड़ विवाद. प्रोजेक्ट पर अब तक अटका काम, मुक्ति के लिए नहीं जमा हुआ पैसा
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : दीघा में आवास बोर्ड की ओर से वर्षों से प्रस्तावित टाउनशिप की योजना सुस्त पड़ गयी है. बिहार राज्य आवास बोर्ड पैसे के अभाव में दीघा के 1024.52 एकड़ के प्रोजेक्ट पर अपना कदम आगे नहीं बढ़ा पा रहा है.
इस कारण 1024 एकड़ को दो भागों में बांट कर बनी अलग-अलग योजनाएं अब तक अधर में ही है. आवास बोर्ड 400 एकड़ की जमीन पर बने भवनों व जमीन मालिकों को वहां से हटने के लिए राशि भी नहीं दे पा रहा है. वहीं, राजीव नगर सहित 600 एकड़ में बसे लोग आवास बोर्ड को खुद को अधिग्रहण से मुक्त होने के लिए भी शुल्क अदा नहीं कर रहे हैं. इस कारण दीघा के 400 एकड़ में टाउनशिप बनाने की योजना पर दो वर्षों में आवास बोर्ड एक कदम भी अागे नहीं बढ़ पा रहा है.
वहीं दूसरी तरह जो दीघा के सौ एकड़ को सरकारी एजेंसियों के देने की प्रक्रिया भी रुकी है. ऐसे में अपने विवाद के लिए चर्चित दीघा में आवास बोर्ड न टाउनशिप के लिए जमीन का अधिग्रहण कर पाया है और न ही दीघा के दूसरे पार्ट राजीव नगर सहित अन्य क्षेत्र के लोगों ने आवास बोर्ड को अधिग्रहण से मुक्ति के पैसा ही जमा कर रहे हैं.
150 लोगों को हटाने के लिए देना होगा 350 करोड़ : दीघा के 400 एकड़ में आवास बोर्ड की ओर से अल्ट्रा डेवलप टाउनशिप बसाने की योजना है. इस भूमि पर वर्षों से लोगों का कब्जा है.
आवास बोर्ड कैबिनेट से स्वीकृति के बाद वहां टाउनशिप बसाने की योजना पर काम कर रहा है. बोर्ड द्वारा वहां बसे लोगों को प्रति कट्ठा की दर से पैसा देना है. बीते वर्ष आवास बोर्ड ने इसके लिए आवेदन निकाला था, लेकिन अधिकतर लोगों ने इसका विरोध किया और बोर्ड की प्रक्रिया में भाग ही नहीं लिया. वहीं, इस क्षेत्र के 150 लोगों ने आवास बोर्ड की प्रक्रिया में रुचि दिखायी और आवास बोर्ड से पैसे लेने के लिए आवेदन कर दिया. अब बोर्ड को जमीन लेने के लिए लगभग 350 करोड़ की राशि का भुगतान करनी है.
अधिग्रहण को लेकर दूसरी तरफ राजीव नगर सहित 600 एकड़ को अधिग्रहण से मुक्ति दिलाने के लिए भी आवेदन निकला था. इस क्षेत्र में लगभग 10 हजार से अधिक मकान हैं, लेकिन प्रक्रिया में मात्र 51 लोगों ने ही आवेदन किया था. जांच के बाद 41 आवेदन सही पाये गये थे.
अब तक 22 लोगों को आवास बोर्ड की ओर से डिमांड राशि की मांग की गयी है. फिलहाल किसी भी निर्माण की पूरी राशि जमा नहीं हो सकी है. ऐसे में आवास बोर्ड की ओर से अब तक किसी को भी अधिग्रहण से मुक्ति का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सका है. गौरतलब है कि अधिग्रहण से मुक्ति के लिए लोगों को साढ़े छह लाख प्रति कट्ठा से लेकर अन्य कई रेट पर राशि जमा करनी है.
एजेंसियों से मिले पैसे से अब भुगतान करेगा बोर्ड : आवास बोर्ड दीघा-आशियाना के पश्चिम 400 एकड़ की जमीन में से ही 100 एकड़ जमीन सरकारी एजेंसियों को देने की योजना पर काम कर रहा है.
इसमें बीएमपी, एसएसबी, बिजली विभाग, बैंक ऑफ बड़ौदा, सीबीएसइ सहित अन्य संस्थाओं को लगभग 98 एकड़ जमीन दी जानी तय हुई है. पहले अावास बोर्ड एमवीआर रेट के दोगुने दर पर जमीन दे रहा था. इस हिसाब से लगभग 84 लाख प्रति कट्टा की दर लग रही थी, लेकिन राशि अधिक होने के कारण इन संस्थाओं ने अपना प्रजेंटेशन दिखाया. इसके बाद अब आवास बोर्ड एमवीआर रेट पर ही जमीन देने को तैयार हो गया है. इसमें औसत 42 लाख प्रति कट्टा की दर से जमीन दी जा रही है. बीएमपी ने अपनी जमीन की मापी भी कर ली है. इस प्रोजेक्ट से आवास बोर्ड को लगभग 700 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है.
क्या था मामला : आवास बोर्ड की ओर से 1974 में दीघा के 1024 एकड़ भूमि के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की गयी थी. 1984 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे वैध करार दिया. फिर आवास बोर्ड द्वारा सीआरपीएफ को जमीन देने के खिलाफ किसान कोर्ट चले गये, लेकिन राहत नहीं मिली.
फिर कैबिनेट की ओर से दीघा एक्शन प्लान लाया गया. इसके बाद मकानों को तोड़ने की न्यायिक प्रक्रिया बाध्यता से बचने के लिए नीतीश सरकार ने दीघा अर्जित भूमि बंदोबस्ती अधिनियम 2010 लायी. अधिनियम के आलोक में आवास बोर्ड ने दीघा के 1024 एकड़ भूमि को 400 व 600 एकड़ भूमि के लिए अलग-अलग प्लान तैयार किया. इसी प्लान के तहत वर्ष 2015 के अंत से आवास बोर्ड नये सिरे से आवेदन लाकर मामले को निबटारा करने की कोशिश कर रहा है.
एरिया बेस डेवलपमेंट के लिए स्वीकृत योजनाओं को लागू करेगी कंपनी
पटना : प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर की अध्यक्षता में मंगलवार को स्मार्ट सिटी के रूप में पटना का चयन होने के बाद योजनाओं को पूरा करने के लिए एसपीवी यानी स्पेशल परपस व्हीकल के गठन का प्रारूप तैयार करने के लिए बैठक हुई. इसमें प्रस्तावित पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन तथा मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के विस्तृत प्रारूप पर नगर आयुक्त, पटना नगर निगम, कंपनी सेक्रेटरी एवं अन्य पदाधिकारियों के साथ चर्चा की गयी. बैठक में कंपनी के गठन के लिए वैधानिक अहर्ताओं, शेयर होल्डिंग पैटर्न, कंपनी की आम एवं विशेष बैठक के लिए कोरम पर विस्तार से चर्चा की गयी.
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