बहरहाल यदि हम रिजल्ट को देखें, तो आपको पता चलेगा कि कैसे चार-पांच पिछड़ी जातियां मिल कर मेयर का पद हासिल कर सकती हैं. अभी यादवों के पास सबसे ज्यादा 18 सीटें हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर कुरमी-कोइरी जाति के पार्षद हैं, जिनकी संख्या 09 है. इसके बाद तेली-बनिया जाति के 8 पार्षद हैं और चंद्रवंशी-कहार इस सूची में 7 पार्षदों के साथ चौथे पायदान पर हैं. यानी यादव-कुरमी-बनिया व चंद्रवंशी मिल गये, तो किसी और की जरूरत नहीं होगी. इनकी कुल संख्या 42 है, जबकि जीत के लिए 38 वोटों की दरकार है.
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नगर सरकार: जीत के लिए कुल 38 मतों की है दरकार, 54 पिछड़े-अतिपिछड़े पार्षदों के पास मेयर पद की चाबी
पटना : पटना नगर निगम के मेयर पद की चाबी पिछड़े और अतिपिछड़े पार्षदों (54) के पास है. मेयर पद पर जीत के लिए कुल 38 मतों की दरकार है और सदस्यों के जो जातिगत गणित निकल कर सामने आ रहे हैं, उसके अनुसार यदि चार-पांच पिछड़े-अतिपिछड़े जाति के पार्षद मिल गये, तो मेयर पद […]
पटना : पटना नगर निगम के मेयर पद की चाबी पिछड़े और अतिपिछड़े पार्षदों (54) के पास है. मेयर पद पर जीत के लिए कुल 38 मतों की दरकार है और सदस्यों के जो जातिगत गणित निकल कर सामने आ रहे हैं, उसके अनुसार यदि चार-पांच पिछड़े-अतिपिछड़े जाति के पार्षद मिल गये, तो मेयर पद पर उनका कब्जा हो जायेगा. यह आर्थिक और राजनीतिक रणनीति के अलग एक ऐसी रणनीति है, जिस पर काम किया जाये, तो ऐसा एक चेहरा मेयर हो सकता है जिसकी दूर-दूर तक चर्चा भी नहीं हो रही है.
बहरहाल यदि हम रिजल्ट को देखें, तो आपको पता चलेगा कि कैसे चार-पांच पिछड़ी जातियां मिल कर मेयर का पद हासिल कर सकती हैं. अभी यादवों के पास सबसे ज्यादा 18 सीटें हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर कुरमी-कोइरी जाति के पार्षद हैं, जिनकी संख्या 09 है. इसके बाद तेली-बनिया जाति के 8 पार्षद हैं और चंद्रवंशी-कहार इस सूची में 7 पार्षदों के साथ चौथे पायदान पर हैं. यानी यादव-कुरमी-बनिया व चंद्रवंशी मिल गये, तो किसी और की जरूरत नहीं होगी. इनकी कुल संख्या 42 है, जबकि जीत के लिए 38 वोटों की दरकार है.
दलित-महादलितों की संख्या भी हो सकती है मददगार : यदि चंद्रवंशी या बनिया इधर-उधर खिसके, तो उसका विकल्प धानुक और नाई जाति के पार्षद पूरा कर सकेंगे. उनकी संख्या तीन-तीन हैं. इन सबके बीच दलित-महादलितों की संख्या भी अच्छी खासी है. आठ पार्षद इसी जाति से चुन कर आये हैं. अब आप इसे ऐसे देख सकते हैं कि यदि चार सबसे ज्यादा पार्षदों वाली जातियों में यदि दो जातियां इधर-उधर हुई, तो एक बेहतर विकल्प अनुसूचित जाति वाले बन सकेंगे. इस बीच अगड़ी जाति के 13 उम्मीदवार भी एक बड़ा वर्ग है, जिस पर सभी की नजर रहेगी.
पिछड़ा (यादव-18) : गीता देवी (वार्ड 10), श्वेता राय (वार्ड 14), जयप्रकाश सिंह (वार्ड 16), सीमा सिंह (वार्ड 20), अनीता देवी (वार्ड 22), सुचित्रा सिंह (वार्ड 22बी), रजनी देवी (वार्ड 22सी), ज्ञानवती देवी (वार्ड 24), बिंदा देवी (वार्ड 26), विनय कुमार (वार्ड 28), रंजीत कुमार (वार्ड 29), पिंकी यादव (वार्ड 32), भारती देवी (वार्ड 39), कैलाश प्र यादव (वार्ड 42), कंचन कुमार (वार्ड 55), तरुणा राय (वार्ड 65), कांति देवी (वार्ड 66) और मीरा देवी (वार्ड 72)
पिछड़ा (कुरमी-कोइरी – 09) : किस्मती देवी (वार्ड 56), अभिषेक कुमार (वार्ड 09), प्रभा देवी (वार्ड 23), कंचन देवी (वार्ड 41), शीला देवी (वार्ड 33), किरण मेहता (वार्ड 53), सुनीता देवी (वार्ड 68), विकास (वार्ड 69), स्मिता रानी (वार्ड 57)
पिछड़ा और अतिपिछड़ा (तेली व बनिया – 08) : सतीश कुमार (वार्ड 47), रीता रानी (वार्ड 08), मीरा कुमारी (वार्ड 17), सीता साहू (वार्ड 58), मनोज कुमार (वार्ड 67), शोभा देवी (वार्ड 60), राजकुमार गुप्ता (वार्ड 35), मधु चौरसिया (वार्ड 02)
अतिपिछड़ा (चंद्रवंशी – 07) : नीलम कुमारी (वार्ड 59), दीपक कुमार (वार्ड 36), रवि प्रकाश (वार्ड 11), जीत कुमार (वार्ड 13), रानी सिन्हा (वार्ड 31), प्रभा देवी (वार्ड 45), इंद्रदीप कुमार चंद्रवंशी (वार्ड 48)
अतिपिछड़ा (धानुक – 03) : रंजन कुमार (वार्ड 18), पिंकी कुमारी (वार्ड 21), कावेरी सिंह (वार्ड 30)
अतिपिछड़ा (नाई – 03) : अरुण शर्मा (वार्ड 54), पूनम शर्मा (वार्ड 46), विनोद कुमार (वार्ड 70)
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