बिहार सरकार ने मॉनसून की मार से किसानों को बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के फसलों की 41 हजार 82 क्विंटल वैकल्पिक बीज वितरण की स्वीकृति दी है. राज्य में अनियमित मॉनसून, बाढ़, सूखे और कम बारिश जैसी स्थिति में आकस्मिक फसल योजना से रोपणी की जायेगी. इसके लिए कैबिनेट ने 50 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है. मंगलवार को कैबिनेट की हुई बैठक में इसकी मंजूरी दी गयी. कैबिनेट ने पटना हाइकोर्ट में 110 नये पद सृजित करने की स्वीकृति समेत नौ एजेंडों पर मुहर लगायी.
कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव डाॅ एस सिद्धार्थ ने बताया कि 2023-24 में आकस्मिक फसल योजना के तहत बीज वितरण की स्वीकृति दी गयी. कैबिनेट द्वारा आकस्मिक फसल योजना में जिन फसलों के बीजों के वितरण की स्वीकृति दी है, उसमें धान (प्रमाणित), मक्का (संकर), अरहर, उड़द, तोरिया, सरसों (आगत), मटर (आगत), भिंडी, मूली, कुल्थी, मडुआ, सांबा, कोदो, ज्वार और बरसीम फसल की बीज शामिल हैं. अपर मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य में काष्ठ आधारित उद्योग की स्थापना को लेकर राज्य स्तरीय समिति द्वारा आरा मिलो की संख्या 1919 से बढ़ाकर 3200 करने और विनियर मिल की संख्या 177 से बढ़ा कर 450 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी. कैबिनेट ने बिहार पुलिस के अंतर्गत गठित स्पेशल ऑक्जिलरी पुलिस (सैप) के 3566 जवानों को एक वर्ष का अवधि विस्तार देने का प्रस्ताव को भी स्वीकृत किया गया है.
कैबिनेट ने पटना हाइकोर्ट में अनुवादक संवर्ग में संयुक्त निबंधक (अनुवादक) के एक पद और उप निबंधक (अनुवादक) का एक पद की स्वीकृति दी गयी. पटना हाइकोर्ट में जमादार के 77 पदों को वेतनस्तर-2 में उत्क्रमित करने की स्वीकृति दी गयी. पटना हाइकोर्ट में स्टाफ कार चालक चालक के 27 पदों के सृजन की भी स्वीकृति दी गयी. कैबिनेट द्वारा अंकेक्षण निदेशालय में छह पदों के सृजन की स्वीकृति दी गयी जिसमें संयुक्त निदेशक के दो पद और उप निदेशक के चार पद शामिल हैं.
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि अरवल जिला में डिग्री कॉलेज की स्थापना के लिए करपी अंचल में 5.01 एकड़ जमीन शिक्षा विभाग को मुफ्त में अंतर विभागीय स्थायी हस्तांतरण की स्वीकृति दी गयी.
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राज्य में कार्यरत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के पुनर्पूंजीकरण के लिए 2022-23 के बकाया 84.87 करोड़ का बिहार आकस्मिकता निधि से अग्रिम रूप में उपबंध किया जाने और वित्तीय वर्ष 2023-24 की प्रथम तिमाही में एकमुश्त भुगतान की स्वीकृति दी गयी. इसमें केंद्र सरकार द्वारा 50 प्रतिशत और राज्य सरकार द्वारा 15 प्रतिशत पूंजी निवेश किया जाता है जबकि शेष राशि स्वयं बैंकों द्वारा की जाती है.