नवादा (नगर) : नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों के खिलाफ सिंगापुर से समानांतर सरकार चलाते हुए बैंक ऑफ इंडिपेंडेंट के नाम से नोट छाप कर सार्वजनिक किया था. इस नोट पर एक तरफ सुभाष चंद्र बोस का चित्र बना था व दूसरी ओर जय हिंद लिखा था.
नेताजी द्वारा जारी किया गया यह नोट आजादी के आंदोलन की एक महत्वपूर्ण कड़ी मानी जाती है. यह नोट आज भी नरहट प्रखंड के कुशा गांव निवासी बांके लाल सिंह के पास धरोहर के रूप में है. बांके लाल के दादा प्रयाग सिंह कोलकाता में रेलवे के चीफ कॉमर्शियल सुप्रिटेंडेंट (सीसीएस) ऑफिस के पास कैंटीन (चाय की दुकान) चलाते थे. बांके लाल ने बताया कि उनके चचेरे दादा महावीर सिंह रंगुन में आजाद हिंद फौज में शामिल थे. 1943 के आसपास नेताजी सिंगापुर में आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजी सेना से लोहा ले रहे थे.
उस समय अंग्रेजों में नेताजी का इतना डर समाया हुआ था कि वह फोर्ट विलियम से हट कर रेलवे ऑफिस में ही अपना मुख्यालय बनाये थे. नेताजी के गुप्तचर इसकी खबर लेने के लिए कैंटीन के आसपास घुमते थे. इसी बीच उनके दादा प्रयाग सिंह द्वारा आजाद हिंद फौज के गुप्तचर की मदद करते हुए उन्हें कई सारी खुफिया जानकारी दी व आर्थिक मदद करते हुए उन्हें 25 भर सोना भी दिया था. इसके बदले में नेताजी द्वारा जारी एक हजार रुपये का नोट उस समय उनके दादा जी को दिया गया था. इस ऐतिहासिक महत्व वाले नोट को आज भी सुरक्षित रखा गया है.
बांके लाल ने कहा कि उसकी दादी राधा रुक्मिणी देवी ने सहेज कर रखे इस नोट को उनको दिया था. बांके लाल ने कहा कि आजाद हिंद फौज द्वारा 1945 में फोर्ट विलियम पर बम भी गिराया गया था. इसके बाद उस समय उनके दादा पर भी जासुसी का अभियोग लगा कर देशद्रोह का मुकदमा अंग्रेजों ने चलाया था. बांके लाल ने रेल मंत्रालय से इस दस्तावेज को सर्वजनिक करने की मांग की है.