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पश्चिम बंगाल, झारखंड व आंध्र जा रहा धान

पश्चिम बंगाल, झारखंड व आंध्र जा रहा धान धान खरीद शुरू नहीं होने से औने-पौने दामों में किसान बेच रहेकिसान फोटो- 1प्रतिनिधि, हिसुआक्षेत्र के बाजारों में इन दिनों किसान औने-पौने दामों में धान बेच रहे हैं. व्यापारी हर रोज काफी मात्रा में धान की खरीद कर संग्रह कर रहे हैं. प्रतिदिन धान का खेप ट्रकों […]

पश्चिम बंगाल, झारखंड व आंध्र जा रहा धान धान खरीद शुरू नहीं होने से औने-पौने दामों में किसान बेच रहेकिसान फोटो- 1प्रतिनिधि, हिसुआक्षेत्र के बाजारों में इन दिनों किसान औने-पौने दामों में धान बेच रहे हैं. व्यापारी हर रोज काफी मात्रा में धान की खरीद कर संग्रह कर रहे हैं. प्रतिदिन धान का खेप ट्रकों पर लादकर प्रदेश से बाहर भेजा जा रहा है़ इन दिनों केवल हिसुआ के बाजारों में तीन ट्रक धान का आमद बताया जा रहे है़ लगभग 40-45 टन का आमद रोज बाजार में आंका जा रहा है़ एक ट्रक पर 16 टन, लगभग 369 पैकेट धान का बोरा लद जाता है़ दो से तीन ट्रक रोज यहां से पश्चिम बंगाल, झारखंड व आंध्र प्रदेश भेजा जा रहा है़ सरकारी स्तर पर धान का क्रय समय से शुरू नहीं होने से किसान औने-पौने दामों में धान बेचने पर मजबूर हैं. व्यापारियों की चांदी है़ सबसे बेहतर महीन किस्म के धान की कीमत तो सरकारी दर से समान या 50 या 100 रुपये ऊपर मिल जा रहे हैं. पर, सामान्य धान जो इस क्षेत्र में भारी मात्रा में पैदा किये जाते हैं. उनकी कीमत पौने 11 सौ, पौने 12 सौ रुपये मिल रहे हैं. मंसूरी हो या सीता बाहर सौ रुपये से कम कीमत पर ही बिक रहे हैं. किसान सच्चिदानंद सितारे हिंद, अजय सिंह, अरुण सिंह, मुसाफिर कुशवाहा, रामकुमार चौहान, युगल किशोर सिंह आदि ने किसानों की मजबूरी को बयां किया़ धान का क्रय समय से शुरू नहीं होने से किसान को धान बेचने पर मजबूर होने की बातें कर रहे हैं. किसान उपज के बाद तुरंत बेच कर कर्ज चुकाना व रबी की खेती के लिए खाद, बीज की खरीद सहित दैनिक कार्यों के लिए रुपये की जरूरत उनकी मजबूरी बतायी जाती है़ लेकिन, हर साल सरकार की ओर से धान की खरीद देर से शुरू करने व भुगतान भी समय पर नहीं करने से किसानों को परेशानी होती है़ छोटे किसानों के पास धान संग्रह करने के लिए समुचित स्थान की भी कमी रहती है़ छोटे किसानों का ही धान बाजार में पहले बिकना शुरू हो जाता है़पैक्स अध्यक्षों के निर्णय से धान खरीद होगा प्रभावितहिसुआ के पैक्स अध्यक्षों ने बैठक कर यह निर्णय लिया है कि धान की खरीद यहां तब ही शुरू होगी जब पिछले साल के धान खरीद के बकाया रुपये किसानों को कर दिया जाता है़ पिछले साल का लगभग 38 लाख रुपये की राशि का बकाया भुगतान किसानों को अभी तक नहीं हुआ है़ इस तरह यहां धान खरीद पर ग्रहण लग गया है़ बहरहाल हिसुआ ही नहीं जिले के कई प्रखंड़ों में धान की खरीद शुरू नहीं हुआ है और बाजार में धान बिक कर प्रदेश से बाहर जा रहे हैं.

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