एक जुलाई से 30 सितंबर तक नदी घाटों से नहीं होगा बालू का खनन
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बरसात में मिलेगा भरपूर बालू, पर 700 रुपये महंगा
एक जुलाई से 30 सितंबर तक नदी घाटों से नहीं होगा बालू का खनन ठेकेदार के 15 बालू स्टॉक प्वाइंट्स से लगातार होगी बालू की आपूर्ति नवादा : भारत सरकार के पर्यावरण व वन मंत्रालय के निर्देशानुसार पूरे देश में बरसात के तीन माह तक नदियों से बालू खनन पर रोक लगाने का निर्देश जारी […]
ठेकेदार के 15 बालू स्टॉक प्वाइंट्स से लगातार होगी बालू की आपूर्ति
नवादा : भारत सरकार के पर्यावरण व वन मंत्रालय के निर्देशानुसार पूरे देश में बरसात के तीन माह तक नदियों से बालू खनन पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया गया है. इसके आलोक में एक जुलाई से 30 सितंबर तक नदी घाटों से बालू का उठाव नहीं होता़ नवादा में बालू संवेदक जय माता दी द्वारा इस रोक को लेकर आम नागरिकों को सुविधा प्रदान किये जाने के उद्देश्य 15 स्टॉक प्वाईंट्स बनाये गये हैं. खनन पदाधिकारी प्रमोद कुमार बताते हैं कि सरकार के पर्यावरणीय नियम के अनुसार हर साल जुलाई माह से सितंबर माह तक नदी से बालू उठाव पर रोक लगने के बाद संवेदक द्वारा स्टॉक प्वाइंट्स बनाये जाते हैं.
इसके लिए प्रति स्टाॅक प्वाइंट्स लाइसेंस बनाने में पांच हजार रुपये लिये जाते हैं. उन्होने बताया कि नदी से स्टॉक प्वाइंट्स तक बालू लाकर जमा करने की स्थिति में विभाग को संवेदक के द्वारा रिपोर्ट करना होता है. वैसे आमलोग भी 30 जून तक अपने जरूरत के अनुसार बालू का स्टॉक कर सकते हैं. इससे उन्हें अतिरिक्त खर्च नहीं लगेगा. उन्होंने बताया कि बालू स्टॉक करने की जानकारी विभाग को देने के बाद उसे बेचने का वही नियम रहेगा.
स्टॉक प्वाइंट्स तक बालू लाने में होगा अधिक खर्च
बरसात के मौसम में भले ही सरकार के निर्देश पर नदियों से बालू के उठाव पर रोक लगायी जा चुकी है, लेकिन बालू संवेदक ने इसके लिए अतिरिक्त व्यवस्था कर रखी है. जिले में बनाये गये 15 बालू स्टॉक प्वाइंट्स से लोगों को बालू की सहज आपूर्ति होगी. परंतु, यह थोड़ा महंगा होगा. संवेदक जय माता दी के प्रोपराइटर गोपाल प्रसाद बताते हैं कि नदी घाटों से बालू उठाव कर स्टॉक प्वाइंट्स तक जमा करने में जो खर्च आता है, उसके चलते आर्थिक बोझ बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि बालू प्रति ट्रैक्टर लगभग 700 रुपये महंगा हो जायेगा. आम दिनों मेें बालू सीधा नदी से उठाव करने पर प्रति ट्रैक्टर 1100 रुपये आमलोगों को देने पड़ते हैं, लेकिन बरसात में नदी से उठाव पर रोक लगने के बाद एक ट्रैक्टर बालू की कीमत बढ़ कर 1800 सौ रुपये तक पहुंच जायेगी.
रात में रोशनी को तरस रहीं इमारतों से भरी पड़ीं गलियां
बदइंतजामी. पुरानी लाइटें हुईं खराब, नहीं लग रही नयी
मुहल्ले की कई नालियों के स्लैब टूटे हुए हैं. दिन में तो रोशनी के कारण लोग बच कर इसे पार कर लेते हैं, लेकिन रात के अंधेरे में अनजान लोगों को परेशानी होती है. किसी भी पोल पर लाइट नहीं है. स्थानीय स्तर पर लोगों को भी घरों के आगे बल्ब लगाने चाहिए.
अरविंद कुमार निराला, पुलिसकर्मी
पोल पर लाइट तो लगी थी़ लेकिन, सही से रख-रखाव नहीं होने के कारण सभी लाइट धीरे-धीरे खराब या बर्बाद हो गयी हैं. लाइट का इंतजाम इस एरिया में जरूरी है. लगन के दिनों में होटलों में रात भर पार्टी होती है. होटल से बाहर निकलते ही लोगों को अंधेरा मिलता है.
सुनील कुमार, व्यवसायी
नर्सिंग होम तक आनेवाली सड़क पर शाम में अंधेरा रहता है. संस्थान के आगे लाइट लगायी है, लेकिन यह सबके लिए काफी नहीं है. रोड पर रोशनी का इंतजाम तो होना ही चाहिए. बिजली की स्थिति पहले से अच्छी हुई है. रोड पर पोल या घरों के आगे लाइट लगायी जाती है, तो रात भर रोशनी हो सकती है.
डॉ अखिलेश मोहन, चाइल्ड स्पेशलिस्ट
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