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नेवादगढ़ खादी मंडल पर किसी का ध्यान नहीं

गांधी के सपने भी जुड़ा था नेवादगढ़ वारिसलीगंज : क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 55 वर्ष पहले प्रखंड स्थित नेवादगढ़ खादी ग्रामोद्योग मंडल बनाया गया था. कई कमरे, आलीशान इमारत व उपकरण आदि से संपन्न होने के बावजूद इसकी स्थिति दयनीय है. क्षेत्र को स्वावलंबन बनाने की दिशा में अग्रसर करने को लेकर […]

गांधी के सपने भी जुड़ा था नेवादगढ़
वारिसलीगंज : क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 55 वर्ष पहले प्रखंड स्थित नेवादगढ़ खादी ग्रामोद्योग मंडल बनाया गया था. कई कमरे, आलीशान इमारत व उपकरण आदि से संपन्न होने के बावजूद इसकी स्थिति दयनीय है. क्षेत्र को स्वावलंबन बनाने की दिशा में अग्रसर करने को लेकर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण व संत विनोबा भावे के सोच को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. मौजूदा स्थिति ऐसी है कि यहां लाखों रुपये के उपकरण जंग खा रहे हैं.
भवन बदहाल है. एक तरफ खादी ग्रामोद्योग को पुनर्जीवित करने को लेकर जनप्रतिनिधि व सरकारी हुक्मरानों द्वारा जिले के नरहट प्रखंड स्थित खनवां गांव में सोलर चरखा चलाने की व्यवस्था की गयी है. लेकिन, देश के निर्णायक नेता व आदर्शवान लोगों द्वारा स्थापित किये गये नेवाजगढ़ खादी ग्रामोद्योग की दशा पर किसी का ध्यान नहीं है. शुरुआती समय में यह संस्था अपने आप में आदर्श. इसमें आसपास के सैकड़ों ग्रामीण महिला व पुरुष द्वारा कपड़े की बुनायी की जाती थी. इससे संस्था को भी लाभ मिलता था. कामगार महिला व पुरुष को रोजगार भी मिला था. इसके कारण क्षेत्र के लोग आत्मनिर्भर थे. लेकिन,आज इस संस्था में दर्जन भर कामगार भी कार्य नहीं कर रहे हैं. आसपास के लोग हुनर होने के बावजूद बेरोजगार हैं.
जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने के उद्देश्य से खादी ग्रामोद्योग की स्थापना की गयी थी. कई साल इस दिशा में बेहतर कार्य किये गये.खुशहाली का दौर भी आया. लेकिन, सरकारी उपेक्षा के कारण सबकुछ समाप्त हो गया. इसे पुनर्जीवित करने की जरूरत है.
नागेश्वर राम, मुखिया,मोहिउद्दीनपुर
नहीं मिलता काम
मोहिउद्दीनपुर निवासी अमोलवा देवी, सुनैना देवी, फूलो देवी, नेवाजगढ़ की सुरमा देवी, रीना देवी, खुशबू देवी, सावित्री देवी जहानाबाद जिले के मोहनपुर निवासी जब्बार अंसारी, मेमुना खातून आदि ने बताया कि काम कम रहने के कारण जरूरत के हिसाब से काम नहीं मिल पाता है. इसके कारण आवश्यकता की पूर्ति होना भी मुश्किल है.
वर्ष 1960 में हुआ था शिलान्यास
नेवाजगढ़ खादी ग्रामोद्योग का शिलान्यास 19 मई 1960 में जयप्रकाश नारायण के हाथों हुआ था. उद्घाटन 14 जनवरी 1961 को संत विनोबा भावे ने किया था. इस संस्था के लिए ग्रामीणों द्वारा जमीन दान में दी गयी थी, जो आज भी मौजूद है. रुई, सूत, खादी, गोदाम, अतिथि निवास, कार्यालय आदि का उद्घाटन 17 अप्रैल 1965 को जयप्रकाश नारायण ने किया था.
ग्रामीणों ने दी थी जमीन
पूर्वजों द्वारा निर्माण को लेकर जमीन दी गयी थी. हमलोग इसे बचा पाने में सक्षम नहीं हैं. इस बात का मलाल है. सरकार को आत्मनिर्भरता व स्वावलंबन की दिशा में स्थापित किये गये इस ग्रामोद्योग को फिर से शुरू करने की जरूरत है. इस तरफ जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी नहीं है.
राजेश रोशन- नेवादगढ़ ग्रामीण.
44 करोड़ रुपये की नहीं हुई निकासी
संस्था के पूर्व अध्यक्ष त्रिपुरारी शरण के अथक प्रयास से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने संस्था को पुनर्जीवित करने को लेकर 44 करोड़ की राशि पास करायी थी. लेकिन, राशि निकल नहीं पायी. पुनः इसके लिए सरकार से आग्रह किया जायेगा,ताकि इसका विकास संभव हो सके.
रामजी प्रसाद सिंह-व्यवस्थापक खादी ग्रामोद्योग, नेवाजगढ़.

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