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215 वां आयुध दिवस मनाया गया

दो लाख गोले का है वार्षिक लक्ष्य बिहारशरीफ : एशिया का पहला आयुध कारखाना है नालंदा आयुध निर्माणी, जहां बोफोर्स तोप के बारूद गोले, जो क्षमता वर्धक मारक है. जिसमें खोखा नहीं होता है. जबकि दूसरे गनों में ब्रास के खोखे फायर के बाद खोखे निकाले जाते हैं या बाहर स्वत: फेंक देता है. यह […]

दो लाख गोले का है वार्षिक लक्ष्य
बिहारशरीफ : एशिया का पहला आयुध कारखाना है नालंदा आयुध निर्माणी, जहां बोफोर्स तोप के बारूद गोले, जो क्षमता वर्धक मारक है. जिसमें खोखा नहीं होता है. जबकि दूसरे गनों में ब्रास के खोखे फायर के बाद खोखे निकाले जाते हैं या बाहर स्वत: फेंक देता है. यह बिल्कुल नवीनतम तकनीक से निर्मित वे मिशाल उत्पादन है. यहां के निर्मित 5000 हजार गोले पहली बार आयुध डीपो को भेजी जायेगी. भेजने के पूर्व विशेषज्ञ निरीक्षक टीम निर्मित गोले का टेस्ट करेगी.
इसके बाद भेजे जाते हैं. उक्त बातें आयुध दिवस के मौके पर आयुध कर्मियों को संबोधित करते हुए महाप्रबंधक शरद घोड़के ने शुक्रवार को कारखाने स्थित सभागार में बोल रहे थे. उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत प्रभात फेरी से की और सभागार में निष्ठा व दायित्व की शपथ दिलाई.
उन्होंने कहा कि बिहार के लिए गौरव की बात है. जहां इतने अच्छे और बेमिशाल गोला बारुद का कारखाना स्थापित हैं. उन्होंने कहा कि अगर हमारे साथी और तत्परता व लगन से अपने कार्यांे और दायित्वों का निर्वहन करें तो जो शेष पांच यूनिट प्लांट लगने है लग जायेंगे. उन्होंने कहा देश में कई संपन्न व सक्षम आयुध कारखाने हैं पर जो बोले बारुद यहां निर्मित होंगे और हो रहे हैं वह और कहीं नहीं है. यहां के निर्मित गोले की मारक क्षमता पांच से 30 किलोमीटर तक है. कारगिल युद्ध में बोफोर्स के गोले की शक्ति और प्रदर्शन देश देख चुकी है. उसे वक्त इसे इम्पोर्ट के जरिये पूरी की जाती थी. आज हम बेहद खुश और संतुष्ट हैं कि हम आधुनिक से आधुनिक अस्त्र शस्त्र में आत्मनिर्भर हो रहे हैं. इस माह के अंत में या अप्रैल के प्रथम वीक में 5000 हजार गोले देश को समर्पित होंगे.
इस आयुध निर्माणी बोर्ड के चेयरमैन के हाथों झंडी दिखा भेजने का साकारात्मक प्रयास की जा रही है. यह प्रोजेक्ट आधुनिक नवीनतम तकनीक के क्षेत्र में प्रोप्लेंट निर्माण के लिए 155 मिली मीटर, आर्टलरिगण के लिए बॉय मॉड्यूलर सिस्टम (बीएमसीएस) कहा जाता है. इसकी विशेषता यह है कि यह पूर्ण रूपेण ज्वलनशील प्रवृति की है. इसके प्रयोग से अर्टलरिगण के बैरल का क्षरण कम कम होता है. फलत: अवैध गति से निरंतर फायर के साथ वेग गति अधिक होती है. उन्होंने ने बताया कि इस निर्माणी में आठ रासायनिक विस्फोटक प्लांट की आधार भूत सरंचना है. जिसमें तीन प्लांट कार्यरत हो विविध प्रगति पर है. शेष पांच प्लांटों के लिए साकारात्क प्रयास की जा रही है.
यहां एक प्रमाणिक प्रयोगशाला भी है. आयुध निर्माणी नालंदा 3000 हजार एकड़ में स्थापित है. वहां वृहत पैमाने पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग, सुव्यवस्थित टाउनशिप, 815 आवास, अत्याधुनिक सुविधा वाली गेस्ट हॉउस, भव्य गार्डन, आधुनिक अस्पताल, केंद्रीय विद्यालय, मार्केट कम्प्लेक्स, महिला कल्याण समिति आदि हैं. जब यह कारखाने में आठों यूनिट स्थापित हो पूर्ण रूपेण क्षमता पूरक हो जायेंगे तो यहां से दो लाख गोले वार्षिक निर्माण का लक्ष्य है. इसके पूर्व एनसी उत्पाद 80 टन इटारसी डीपू को दी गयी. जिसे ऐसेम्बल कार गोले निर्माण हुई है.
पर इस मामले में आत्म निर्भर हो चुका है. इस कारखाने का नींव 14 अप्रैल 1999 को उस वक्त रेलमंत्री वर्तमान सीएम नीतीश कुमार के प्रयास से नालंदा निवर्ततान सांसद देश के रहे रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के मौजूदगी में की गई थी. आयुध दिवस के शुभ अवसर पर अपर महाप्रबंधक एनके गुप्ता, परवीन कुमार, प्रशासनिक पदाधिकारी मनोज कुमार, सतीश कुमार, प्रशांत कुमार, गौरी शंकर, सुरक्षा अधिकारी सहित अन्य मौजूद थे.

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