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मुजफ्फरपुर में स्कूली डीजल वाहनों का परिचालन होगा पूरी तरह से बंद, इलेक्ट्रिक वाहनों पर सफर करेंगे बच्चे

मुजफ्फरपुर में जल्द सभी स्कूलों में स्कूली बच्चों के लिए सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों का परिचालन होगा, डीजल वाले वाहनों का परिचालन पूरी तरह से बंद होगा.

कुमार गौरव / वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर: बहुत जल्द सभी स्कूलों में स्कूली बच्चों के लिए सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों का परिचालन होगा, डीजल वाले वाहनों का परिचालन पूरी तरह से बंद होगा. इसको लेकर स्कूल संचालकों को यथासंभव अपने डीजल वाले वाहनों को सीएनजी में बदलवाना होगा, नहीं तो वह उसे हटाकर उसकी जगह नये इलेक्ट्रिक वाहन लेंगे. चाहे स्कूल संचालक उक्त वाहनों को किराये पर लेकर चलवा रहे हो या उनका खुद का वाहन क्यों ना हो. सबसे अहम बात यह है कि लीज व किराये के वाहन पर ऑन स्कूल डयूटी लिखना है, न कि स्कूल बस.

स्कूल के नाम पर पंजीकृत वाहन पर ही स्कूल बस लिखना है. इसको लेकर परिवहन विभाग की ओर से गाइडलाइन जारी हो चुका है. इसके अनुपालन को लेकर जल्द कवायद शुरू होगी. कुछ स्कूलों ने सीएनजी व इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी शुरू भी कर दी है. हाल ही में प्रमंडलीय आयुक्त की ओर से हुई समीक्षा बैठक में स्कूलों में सुरक्षा मानकों की कड़ाई से अनुपालन करने को निर्देश दिये गये हैं.

नियम के उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई

गाइडलाइन में नियम के उल्लंघन पर दायित्व के अनुसार चालक, वाहन स्वामी व स्कूल प्रबंधन पर अलग अलग अधिकतम एक लाख रुपये तक का जुर्माना होगा. एक गलती बार-बार करने पर चालक का लाइसेंस रद, परमिट रद और स्कूल प्रबंधन के विरूद्ध कार्रवाई की अनुशंसा शिक्षा विभाग से होगी. जुर्माना नहीं जमा करने पर डीटीओ कार्रवाई करेंगे.

कोई भी अपील संबंधित प्रमंडलीय आयुक्त के यहां दायर होगी. इस संबंध में डीटीओ सुशील कुमार ने बताया कि इस संबंध में मुख्यालय की ओर से गाइडलाइन जारी किया गया है. सभी स्कूलों में बाल परिवहन समिति के गठन कराने को लेकर डीइओ को पत्र लिखा गया है. जो सरकार की ओर से स्कूल बस को लेकर जारी सभी मानकों का पालन करायेगी. सभी स्कूल प्रबंधन को इससे अवगत कराया गया है. स्कूल प्रबंधन अब जो भी नये वाहन ले वह सीएनजी या इलेक्ट्रिक होने चाहिए.

स्कूली वाहन का मानक

  • वाहन का रंग पीला, सुनहरा भूरा रंग का पेंट कराकर उस पर स्कूल का नाम लिखना है.

  • लीज व किराये के वाहन पर ऑन स्कूल डयूटी लिखना है, ना कि स्कूल बस, स्कूल के नाम पर पंजीकृत वाहन पर लिखायेगा स्कूल बस.

  • स्पीड गर्वनर, गति अधिकतम 40 किमी प्रतिघंटा, फर्स्ट एड बॉक्स, जीपीएस, पैनिक बटन, भीएलटीडी, रिफ्लेक्टिव टेप, ट्रैकिंग डिवाइस अनिवार्य होगा.

  • स्कूली वाहन में स्कूल बैग रखने की पर्याप्त सुविधा, ताकि वह आराम से बैठ सके.

  • – दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष सुविधा रखे ताकि उन्हें चढ़ने उतरने में दिक्कत ना हो.

  • 8 साल तक के नये वाहन को दो साल, अन्य वाहनों का सालाना फिटनेस जारी होगा.

  • बस में दो आपातकालीन द्वार, खिड़की के पास ग्रिल, सीसीटीवी लगाना और 60 दिन का फुटेज स्टोरेज स्कूल प्रबंधन की जिम्मेवारी

  • प्रत्येक स्कूल एक परिवहन प्रभारी रखेगा, जो प्राचार्य के साथ मानक के अनुपालन की जांच करेंगे.

  • किराये के वाहन पर मानक अनुपालन के लिए प्रबंधन शपथ पत्र लेगा, उल्लंघन पर वाहन स्वामी पर कार्रवाई होगी.

  • स्कूल बस में चढ़ाने व उतारने के लिए प्रशिक्षित परिचारक की प्रतिनियुक्ति, चालक व कंडक्टर की पूरी डिटेल रखनी है.

  • स्कूल कैंपस में वाहन के पार्किंग के लिए अलग से व्यवस्था, बैठान क्षमता से अधिक नहीं बैठाना.

  • बस के अंदर मार्ग, समय सारणी का नक्शा लगना है, आपातकालीन स्थिति के लिए यात्रा करने वाले छात्रों का संपर्क नंबर प्रबंधन को रखना है.

  • जहां 2000 से अधिक छात्र है वहां तीन साल के लिए नियंत्राधिन वाहनों का लीज मानक के अनुसार बनेगा.

  • लगातार 15 दिन या उससे अधिक की छुट्टी पर आधे माह का बस किराया लेना है.

  • बस चालक के पास लाइसेंस, गाड़ी का पेपर अपडेट सभी जिम्मेवारी प्रबंधन की. साफ सफाई चालक व अटेंडेंट को रखना है.

  • अभिभावक की जिम्मेवारी किसी प्रकार की लापरवाही देखे तो फौरन स्कूल प्रबंधन को सूचित करे.

  • अपने बच्चों को स्कूल बस से आने जाने के लिए सावधानी से अवगत कराये.

  • स्कूल की बैठक में भाग ले और अपने बच्चों के सुरक्षा के हर पहलू पर बात करे.

  • स्कूल शिकायत नहीं सुने तो इसकी शिकायत डीएम व डीटीओ से करे. अलग अलग समिति की करेगी जांच

  • राज्य स्तरीय समिति इसको लेकर छह माह में कम से कम एक बैठक, प्रमंडल स्तरीय समिति प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में प्रत्येक तीन माह में एक बैठक करेगी.

  • डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा स्कूल प्रबंधन व परिवहन प्रभारी के साथ प्रत्येक तीन माह में एक समीक्षा करेगी.

  • विद्यालय स्तरीय समिति की तीन माह में एक बैठक करेगी. इस कमेटी में स्कूल के प्राचार्य अध्यक्ष, समिति में दो अभिभावक, शिक्षक संघ के एक, एमवीआइ, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, बस मालिक, शिक्षा विभाग के एक प्रतिनिधि शामिल होंगे.

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