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आम को दीमक से बचाने को दवा का करें छिड़काव

बसंतकालीन ईख, शकरकंद की बोआई के लिए करें तैयारी मुजफ्फरपुर : आम व लीची में फल-फूल आने का समय आ गया है. मौसम के मद्देनजर बाग में दीमक की समस्या आ सकती है. इससे बचाव के लिए दवा का छिड़काव करने की आवश्यकता है. पेड़ के मुख्य तना के पास जमीन में क्लोरोपाइरिफॉस 20 इसी […]

बसंतकालीन ईख, शकरकंद की बोआई के लिए करें तैयारी

मुजफ्फरपुर : आम व लीची में फल-फूल आने का समय आ गया है. मौसम के मद्देनजर बाग में दीमक की समस्या आ सकती है. इससे बचाव के लिए दवा का छिड़काव करने की आवश्यकता है. पेड़ के मुख्य तना के पास जमीन में क्लोरोपाइरिफॉस 20 इसी दवा को 2.5 मिली प्रति लीटर पानी के दर में घोल में मिला कर छिड़काव करने से दीमक में कमी आती है. इसके अलावा पत्तियों पर इमिडाक्लोप्रीड 17.8 एसएल 0.5 मीली एवं घुलनशील गंधक 80 डब्लू पी दो ग्राम प्रति लीटर के दर से छिड़काव करें.
इससे आने वाले दिनों में हापर एवं पाउड्री मिल्डेव की उग्रता में कमी आयेगी. आम व लीची के वैसे बाग जो अभी फलन में नहीं आने वाले है. उसके आसपास चारों तरफ पुआल व प्लास्टिक ढंक देना चाहिए. इधर खेती बारी के लिए बंसत कालीन ईख, शकरकंद व गरमा सब्जी का मौसम अनुकूल है.खेत के तैयारी में जुताई के समय 15-20 टन सड़ी गोबर का उपयोग करना अच्छा होगा. रबी मक्का का फसल जिसमें मोचा आ गया है, उसमें सिंचाई कर 50 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर के दर उपनिवेशन करें. वहीं अगात बोयी गेहूं के फसल का तीसरी सिंचाई करें.
सब्जी में कीट का खतरा : बैंगन व मिर्च की फसल में कीट लगने का खतरा है. बैगन में छोटी पत्ती रोग की निगरानी करने की आवश्यकता है. यह माइक्रोप्लाजमा जनित रोग है. इससे उत्पादन में काफी नुकसान हो सकता है. इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां छोटी व गुच्छेदार हो जाती है. इससे बचाव के लिए टेट्रा साइक्लिन दवा एक ग्राम प्रति दस लीटर पानी के घोल में मिला कर छिड़काव किया जाना चाहिए. मिर्च के फसल में थ्रिप्स कीट पत्तियों के नीचे छिपा रहता है.
कभी-कभी उपरी सतह पर भी देखे जा सकते हैं.
पशुओं को खिलाएं क्रीमी की दवा
दूध देने वाले गाय व भैंस को क्रीड़ा की दवा तीन ग्राम प्रति व्यस्क खाली पेट में खिलाना चाहिए. चारा खाने के बाद लीवर टॉनिक 50 मिली प्रति व्यस्क पशु व मिनरल दाना में मिला कर दें. छोटे पशु को दवा आधा खुराक देना चाहिए.

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