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नवजात कन्या की जिंदगी सुरक्षित करेगा विभाग

मुजफ्फरपुर: स्वास्थ्य विभाग अब कन्या नवजात की जिंदगी सुरक्षित करेगा. प्रसव के दौरान यदि नवजात कन्या बीमार हुई तो उसके इलाज की जवाबदेही विभाग की होगी. अस्पताल प्रभारी आशा के माध्यम से बच्ची को एनयूसीआइ में भरती करायेंगे. यदि वहां चाइल्ड बॉर्न केयर सेंटर नहीं होगा तो दूसरे जिले में बच्ची को ले जाकर भरती […]

मुजफ्फरपुर: स्वास्थ्य विभाग अब कन्या नवजात की जिंदगी सुरक्षित करेगा. प्रसव के दौरान यदि नवजात कन्या बीमार हुई तो उसके इलाज की जवाबदेही विभाग की होगी. अस्पताल प्रभारी आशा के माध्यम से बच्ची को एनयूसीआइ में भरती करायेंगे. यदि वहां चाइल्ड बॉर्न केयर सेंटर नहीं होगा तो दूसरे जिले में बच्ची को ले जाकर भरती कराया जायेगा.

इसके लिए विभाग एंबुलेंस मुहैया करायेगा व बच्ची को भरती कराने के लिए परिजन के साथ आशा जायेगी. भरती के तुरंत बाद इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधक को दी जायेगी. सरकार ने यह निर्णय बच्चियों के प्रति समाज में उदासीनता को देखते हुए लिया है. विभाग की सर्वे में यह बात सामने आयी कि सीरियस रूप से बीमार बच्चों की अपेक्षा बच्चियों को लोग चाइल्ड केयर सेंटर में भरती नहीं कराते. सर्वे के बाद विभाग के कार्यकारी निदेशक जितेंद्र श्रीवास्तव ने डीएम व सीएस को पत्र लिख कर नयी व्यवस्स्था को सुचारू रूप से चलाने का निर्देश दिया है.

सौ में 37 बच्चियां ही होती हैं भरती.
सर्वे में पता चला कि वर्ष 2015-16 में एक सौ नवजात सीरियस बच्चियों में 37 को ही परिजन लेकर अस्पताल गये. अन्य बच्चियों को इलाज के बदले घर ले गये. इनमें अधिकांश की मौत हो गयी. जबकि सीरियस रूप से बीमार एक सौ में 67 बच्चों को चाइल्ड केयर सेंटर में भरती कराया गया. बच्चियों के प्रति सामाजिक भेदभाव को देखते हुए सरकार ने अब बच्चियों के स्वास्थ्य का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग को दिया है.
प्रसव पूर्व ही होगी महिलाओं की निगरानी. प्रसव पूर्व ही आशा व एएनएम गभर्वती महिलाओं की निगरानी करेगी. महिलाओं की नियमित जांच के क्रम में उसकी संभावित डिलवेरी तिथि को पीएचसी में लिखा जायेगा. प्रसव के दौरान यदि बच्ची का जन्म हुआ व बीमार हुई तो आशा उसे लेकर चाइल्ड केयर यूनिट में भरती करायेगी. इसके अलावा विभाग गांवों में अभियान चला कर आशा के माध्यम से बच्चे व बच्चियों के प्रति समान भाव रखने के लिए लोगों को जागरूक करेगी.

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