टीम में केस के आइओ रौनक कुमार व एक सहायक शामिल थे. उनके साथ एक ड्राइवर भी था. गुरुवार को ही टीम ने शहर के तीन अन्य लोगों को पूछताछ के लिए रेस्ट हाउस बुलाया. लेकिन, कोर्ट में देर हो जाने के कारण पूछताछ नहीं हो सकी. ये तीनों कौन थे, इसका खुलासा नहीं हो सका है.
10 जून को कोर्ट में इस मामले में फैसला होना था. उस दिन दोनों ने टेस्ट में जाने से पूर्व शर्त रखी कि गांधीनगर ले जाने से पूर्व व आने के बाद उनकी स्वास्थ्य जांच की जाये. उस दिन सीबीआइ इसके लिए तैयार नहीं हुई. बाद में 17 जून को हुई सुनवाई के दौरान वह इसके लिए सहमत हो गयी. लेकिन उस दिन बबलू की ओर से कोर्ट में आवेदन देकर बताया गया कि निजी डॉक्टर से नार्को टेस्ट व ब्रेन मैपिंग के बारे में राय ली गयी है. डॉक्टर का कहना है कि नार्को टेस्ट में आदमी अपंग हो सकता है, कोमा में जा सकता है. यहां तक की उसकी मृत्यु भी हो सकती है. सीबीआइ जान-माल की गारंटी दे, तो वे टेस्ट के लिए तैयार हैं. चारों का 11 से 22 जुलाई के बीच गांधीनगर में ब्रेन मैपिंग व नार्को टेस्ट कराया जाना है. गौरतलब है कि सीबीआइ बीते दो दिनों से शहर में ही ठहरी हुई है.