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30 साल पुरानी व्यवस्था पर चल रहा जिला कोर्ट

मुजफ्फरपुर : पटना के बाद सबसे अधिक 3500 अधिवक्ता मुजफ्फरपुर कोर्ट में प्रैक्टिस करते है. केस के सिलसिले में कोर्ट कैंपस में प्रत्येक दिन करीब दस हजार लोगों का आना जाना होता है.लेकिन कोर्ट की व्यवस्था (इंन्फ्रास्ट्रक्चर )तीस साल पुरानी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोर्ट परिसर में वकील व […]

मुजफ्फरपुर : पटना के बाद सबसे अधिक 3500 अधिवक्ता मुजफ्फरपुर कोर्ट में प्रैक्टिस करते है. केस के सिलसिले में कोर्ट कैंपस में प्रत्येक दिन करीब दस हजार लोगों का आना जाना होता है.लेकिन कोर्ट की व्यवस्था (इंन्फ्रास्ट्रक्चर )तीस साल पुरानी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोर्ट परिसर में वकील व मुवक्कील के लिए पेयजल तक की समुचित व्यवस्था नहीं है.
शौचालय के नाम पूरे कोर्ट कैंपस में बार लाइब्रेरी के पास सिर्फ एक सार्वजनिक शौचालय है.यह शौचालय भी इतना गंदा रहता है कि इसका उपयोग अनजान लोग ही करते है. यही नही अधिवक्ताओं के सिटिंग तक की व्यवस्था नही है. बरामदे व कॉरीडोर में भी वकीलों को काम करना होता है. कोर्ट कैंपस में पार्किग नहीं होने के कारण अधिवक्ता व मुवक्किल को सड़क किनारे वाहन लगाना होता है. इसके कारण अक्सर वाहन चोरी होती है.

जिला बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव अरविंद कुमार बताते है कि कोर्ट की व्यवस्था फिलहाल एसोसिएशन के भरोसे चल रहा है. स्थिति यह है कि कैंपस में एक सरकारी चापाकल नहीं है. कैंटीन व पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण वकील घर से पानी व नाश्ता लेकर आते है. दूषित पानी पीने के कारण कई अधिवक्ता बीमार भी पड़ चुके है. कोर्ट में सप्लाई हो रहे पानी की जांच एसोसिएशन की ओर से कराया गया था. जिसमें विशेषज्ञों ने पानी को पीने लायक नहीं बताया था. अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार बताते है कि अधिवक्ताओं के लिए लाइब्रेरी सबसे जरुरी है. लेकिन दुख की बात है कि बार लाइब्रेरी को समृद्ध करने के लिए सरकार की ओर से कोई योजना नहीं है. कोर्ट भवन को संरक्षित व सुरक्षित रखने को लेकर पहल नहीं हो रहा है.

गर्मी में सबसे अधिक परेशानी
गर्मी व उमस के मौसम में अधिवक्ताओं को काम करने में सबसे अधिक परेशानी हाेती है. जेनेरेटर सुविधा नहीं रहने के कारण बिजली कटने पर हॉल में बैठना मुश्किल हो जाता है. बरसात के मौसम में भी कमोबेश यही स्थिति होती है. बरामदा पर काम करने वाले अधिवक्ताओं को बैठने के लिए इधर – उधर भटकना पड़ता है. कोर्ट कैंपस का नाला सही नहीं होने के कारण बरसात के समय जल जमाव की स्थिति बनी रहती है. साफ – सफाई नहीं होने के कारण कैंपस में गंदगी का अंबार लगा रहता है.
सांसद कोष से मिले थे 30 लाख
कोर्ट परिसर के व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए डेढ़ साल पहले सांसद कोष से 30 लाख राशि आवंटित हुआ था. जिला एसोशियसन के पहल पर सांसद डॉ सीपी ठाकुर ने बीस लाख व पूर्व सांसद कैप्टन जयनारायण निषाद ने दस राशि अपने कोष से मंजूर की थी.लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद काेर्ट को सुव्यवस्थित करने का काम शुरू नही हुआ है. अधिवक्ताओं का कहना है कि जिला प्रशासन के उदासिनता के कारण यह स्थिति है. एसोशियसन के पदाधिकारी जिला प्रशासन के लिए दौड़ लगा कर परेशान हो चुके है.

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