महाराष्ट्र होमियाेपैथि कौंसिल (एमसीएच) ने विवि से जारी बीएचएमएस की डिग्री को बनावटी व झूठा करार दिया था. दरअसल, सेंट्रल होमियोपथी कौंसिल (सीसीएच) के गाइडलाइन के अनुसार, बीएचएमएस की परीक्षा न्यूनतम बारह पर हो सकती है. लेकिन सत्र में देरी के कारण वर्ष 2003, 2006 व 2009 में बीएचएमएस के दो-दो पार्ट की परीक्षा ली गयी. इसी को आधार बनाकर एमसीएच ने सर्टिफिकेट को सही मानने से इनकार कर दिया. यही नहीं एमसीएच ने कार्रवाई करते हुए 20 से अधिक डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द कर दिया, वहीं लाइसेंस के नये आवेदन लेने से भी इनकार कर दिया. इसे पीड़ित छात्रों ने कोर्ट में चुनौती दी.
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बीएचएमसी की डिग्री फर्जी करार देने का मामला, विवि को नहीं मिला पक्ष रखने का मौका
मुजफ्फरपुर: बीएचएमएस की डिग्री फर्जी करार दिये जाने के मामले में विवि प्रशासन को एक और झटका लगा है. बॉम्बे हाइकोर्ट ने बिना नोटिस के अपना पक्ष रखने के लिए वकील भेज दिये जाने पर आपत्ति जतायी है. हालांकि विवि की ओर से तर्क दिया गया है कि मामला उससे जुड़ा हुआ है, ऐसे में […]
मुजफ्फरपुर: बीएचएमएस की डिग्री फर्जी करार दिये जाने के मामले में विवि प्रशासन को एक और झटका लगा है. बॉम्बे हाइकोर्ट ने बिना नोटिस के अपना पक्ष रखने के लिए वकील भेज दिये जाने पर आपत्ति जतायी है. हालांकि विवि की ओर से तर्क दिया गया है कि मामला उससे जुड़ा हुआ है, ऐसे में वास्तविक स्थित की जानकारी लेने को वे कोर्ट में आये हैं. हालांकि न्यायालय ने पहले दिन विवि के वकील को पक्ष रखने का मौका नहीं दिया. अब इस पर फैसला अगली सुनवाई को होगी.
महाराष्ट्र होमियाेपैथि कौंसिल (एमसीएच) ने विवि से जारी बीएचएमएस की डिग्री को बनावटी व झूठा करार दिया था. दरअसल, सेंट्रल होमियोपथी कौंसिल (सीसीएच) के गाइडलाइन के अनुसार, बीएचएमएस की परीक्षा न्यूनतम बारह पर हो सकती है. लेकिन सत्र में देरी के कारण वर्ष 2003, 2006 व 2009 में बीएचएमएस के दो-दो पार्ट की परीक्षा ली गयी. इसी को आधार बनाकर एमसीएच ने सर्टिफिकेट को सही मानने से इनकार कर दिया. यही नहीं एमसीएच ने कार्रवाई करते हुए 20 से अधिक डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द कर दिया, वहीं लाइसेंस के नये आवेदन लेने से भी इनकार कर दिया. इसे पीड़ित छात्रों ने कोर्ट में चुनौती दी.
मामले में बीते चार फरवरी को तीन पीड़ित डॉक्टर विवि को सर्टिफिकेट सही होने के संबंध में शपथ पत्र देने को कहा. मामले की गंभीरता को देखते हुए विवि प्रशासन ने सत्रह अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच कर उसी दिन शपथ पत्र कोर्ट भेज दिया. बाद में कुलपति ने मामले में बॉम्बे हाइकोर्ट में अपना पक्ष रखने का फैसला लिया. शुरुआत में इसके लिए विवि के वकील को ही वहां भेजने का निर्णय हुआ, लेकिन बाद में इसके लिए अलग से एक वकील को हायर किया गया.
विवि का पक्ष रखने के लिए वकील को बॉम्बे हाइकोर्ट भेजा गया है. पिछली सुनवाई में वे शामिल भी हुए. लेकिन न्यायाधीश ने बिना नोटिस कोर्ट में आने पर आपत्ति जतायी. पहले दिन विवि के वकील को पक्ष रखने का मौका नहीं मिला. उम्मीद है अगली तिथि को इसकी अनुमति मिल जायेगी.
डॉ रत्नेश मिश्रा, कुलसचिव
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