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अवैध कर्मियों पर नगर निगम मेहरबान

मुजफ्फरपुर : नगर निगम अपने अवैध कर्मचारियों पर मेहरबान है. निगम में जितने कर्मचारियों के स्वीकृत बल थे, उनसे अधिक संख्या में कर्मचारियों को भुगतान किया गया. इसके साथ ही, कंप्यूटर ऑपरेटरों की बहाली और काम कराने में भी अनियमितता हुई. दोनों कर्मचारियों को निगम ने अपने खजाने से करीब साढ़े सात लाख रुपये बांट […]

मुजफ्फरपुर : नगर निगम अपने अवैध कर्मचारियों पर मेहरबान है. निगम में जितने कर्मचारियों के स्वीकृत बल थे, उनसे अधिक संख्या में कर्मचारियों को भुगतान किया गया. इसके साथ ही, कंप्यूटर ऑपरेटरों की बहाली और काम कराने में भी अनियमितता हुई.
दोनों कर्मचारियों को निगम ने अपने खजाने से करीब साढ़े सात लाख रुपये बांट दिये. जब अवैध कर्मचारियों को पैसे बांटने का कारण पूछा गया तो निगम के अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं था. इस मामले का खुलासा महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट 2013-14 से हुआ है.
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, नगर निगम में अनुसेवी के 66 और क्लीनर के दो पद स्वीकृत थे. लेकिन निगम के अधिकारियों ने नियम को ताक पर रखकर इन पदों के बदले निगम में 69 अनुसेवी और तीन क्लीनर यानी चार अतिरिक्त कर्मचारियों का पैसा बांटा. अनुसेवी को 9461 रुपये प्रति महीने की दर से अक्तूबर 2011 से जनवरी 2013 तक चार लाख 54 हजार रुपये वेतन मद में दिये गये थे.
वहीं, क्लीनर को 9436 रुपये प्रति महीने की दर से अक्तूबर 2011 से जनवरी 2013 तक एक लाख 50 हजार रुपये वेतन मद में दिये गये थे. दोनों पदों पर कार्यरत अवैध कर्मचारियों छह लाख रुपये बांटे गये. लेकिन जब जांच अधिकारियों ने इसके बारे में जानकारी लेनी चाही तो निगम कोई स्पष्ट कारण नहीं बता सका. आखिर चार अवैध कर्मचारियों को पैसे क्यों बांटे गये? किस आदेश से इन चार अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी थी, इसका जवाब नगर निगम के पास नहीं था. निगम के इस कार्यशैली पर ऑडिट ने सवाल उठाया है.
इतना ही नहीं, कंप्यूटर ऑपरेटरों की बहाली में भी निगम के अधिकारियों ने खेल किया है. वर्ष 2007 में बीपीएल सर्वेक्षण कार्य के लिए दो कंप्यूटर ऑपरेटर रेखा कुमारी व शंभुनाथ ठाकुर को रखा गया था. इन लोगों से 17 अप्रैल 2008 से दैनिक मजदूरी के तौर पर काम कराया जा रहा है. लेकिन इन दोनों कर्मचारियों के अतिरिक्त एक कंप्यूटर हरिनंदन पहले से काम कर रहे थे. इन कर्मचारियों पर निगम ने 1,37,116 रुपये का भुगतान कर दिया.
ऑडिट ने निगम की इस कार्यशैली पर आपत्ति की है. टीम के अधिकारियों का कहना है कि नगर निगम मुजफ्फरपुर में कंप्यूटर ऑपरेटर का पद स्वीकृत नहीं है. क्या इस पद की स्वीकृति के लिए सरकार को पत्र लिखा गया था. सरकार ने क्या जवाब दिया. ऑडिट के समय उपलब्ध नहीं था.

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