मुजफ्फरपुर: इस हालत में इंसाफ की उम्मीद बेकार है. यह बहुत बड़ा सवाल है आरोपित को ही जांच कर कार्रवाई का दायित्व दे दिया गया. मामला आयुक्त कार्यालय के जन शिकायत कोषांग और कृषि विभाग से जुड़ा हुआ है. किसानों की शिकायत है कि जीरो टिलेज विधि से धान की खेती व श्रीविधि योजना में खेती करने के लिए बेहतर सामान नहीं मिले. खेतों में धान बीज का अंकुरण नहीं आया. घास बीज का अंकुरण मारने वाली दवा पेंडीमेथिलीन भी फेल कर गयी. किसानों ने प्रमंडलीय आयुक्त को इंसाफ की उम्मीद के साथ आवेदन दिया था, लेकिन उम्मीद टूट गयी. किसानों ने आवेदन में साफ कहा था कि कृषि विभाग को छोड़कर दूसरे किसी भी सक्षम अधिकारी से जांच कराया जाये, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
आयुक्त कार्यालय से कृषि विभाग के अधिकारियों को ही जांच का दायित्व मिल गया. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद किसान माथा पीट रहे हैं. किसानों का कहना है कि ऐसी हालत में कम से कम इंसाफ की उम्मीद बेकार है. कुछ भी नया नहीं हुआ है.
388 पंचायतों में हुई थी श्रीविधि से धान की खेती
श्रीविधि योजना अंतर्गत जिले के 388 पंचायतों में धान की खेती हुई थी. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना व राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन से 7725 एकड़ में खेती के लिए कृषि सामग्री बांटी गयी थी. खेत में फेल कर गयी.
इस पर 1.93 करोड़ रुपये खर्च हुआ था. कृषि विभाग ने एक एकड़ के लिए जो किट दिये, उसमें दो किलोग्राम प्रमाणित बीज, बीज उपचार के लिए 50 ग्राम कार्बेंडाजीम, नर्सरी प्रबंधन के लिए 20 किलोग्राम वर्मी कंपोस्ट, एक किलोग्राम एजोस्पाइरलम, एक किलोग्राम फॉस्फोरस सोलिबलाइजिंग बैक्टीरिया यानी पीएसबी, उर्वरता प्रबंधन अंतर्गत 80 किलोग्राम वर्मी कंपाेस्ट व जिंक सल्फेट, पौधा संरक्षण के लिए वैलिडामाइसीन व कारटाप हाइड्रोक्लोराइड नाम की दवा दी गयी थी. इनमें से वर्मी कंपोस्ट, दवा व बीज किसानों के खेतों में काम नहीं किया. जबकि लैब में यह सामग्री गुणवत्ता वाला साबित हो गया. कई बैच नंबर का कारटाप हाइड्रोक्लोराइड अमानक साबित हो गया था.
जीरो टिलेज तकनीक से जो खेती करायी गयी, किसानों के खेतों में फेल कर गया. 933 किसानों को इस तकनीक का लाभ दिया जाना था. इस पर विभाग ने 18.66 लाख रुपये खर्च कर डाले. किसानों के खेतों में रिजल्ट शून्य हो गया. एक किसान को एक एकड़ के लिए सामग्री दी गयी थी. किट में किसान को 15 किलोग्राम बीज, कार्बेंडाजीम, पेंडीमिथलीन, बिस्पाइरीबैक सोडियम, जीरो टिलेज मशीन का भाड़ा 660 रुपये दिया गया था. दवा व धान बीज किसानों के खेतों में फेल कर गया.
किसानों ने कहा, उन्हें जो सामग्री दी गयी है, उनका सैंपल लेकर जांच कराया जाये. लेकिन कृषि विभाग के अधिकारियों ने दुकानों से सैंपल लेकर ही जांच करा दिया. किसान ठगे गये. नुकसान हुआ. बाद में दुकान से लिए सैंपल की जांच में सब कुछ ठीक निकला. न्याय नहीं मिलने पर जब किसानों ने आयुक्त का दरवाजा खटखटाया तो वहां से भी आरोपित कृषि विभाग को ही जांच कर आगे की कार्रवाई का दायित्व मिल गया. अब किसान और अधिक आहत हो गये हैं.