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परीक्षा विभाग को ले गरमाया रहा मुद्दा

सिंडिकेट की बैठक : सेंट्रल लाइब्रेरी हॉल में सदस्य व बाहर में छात्रों ने किया हंगामा मुजफ्फरपुर : सदस्यों के हो-हल्ला के बीच शुक्रवार को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पंडित पलांडे की अध्यक्षता में सेंट्रल लाइब्रेरी के कांफ्रेंस हॉल में सिंडिकेट की बैठक हुई. इस दौरान सबसे ज्यादा परीक्षा विभाग से जुड़े मुद्दे […]

सिंडिकेट की बैठक : सेंट्रल लाइब्रेरी हॉल में सदस्य व बाहर में छात्रों ने किया हंगामा
मुजफ्फरपुर : सदस्यों के हो-हल्ला के बीच शुक्रवार को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पंडित पलांडे की अध्यक्षता में सेंट्रल लाइब्रेरी के कांफ्रेंस हॉल में सिंडिकेट की बैठक हुई. इस दौरान सबसे ज्यादा परीक्षा विभाग से जुड़े मुद्दे पर सदस्यों ने अपनी नाराजगी जाहिर की. करीब ढ़ाई घंटे तक चली बैठक में अधिकांश समय छात्रों की समस्या से जुड़ी परीक्षा विभाग के मुद्दे पर ही समाप्त हो गया.
सिंडिकेट सदस्य डॉ शिवानंद सिंह परीक्षा नियंत्रक व विभाग की असफलता का मुद्दा उठाया. कहा पिछले बैठक में जब परीक्षा नियंत्रक को हटाने का निर्णय हुआ था, फिर अब तक क्यों नहीं हटाया गया है? क्यों न इसमें वरीय अधिकारियों की संलिप्तता को माना जाये? यहीं कारण है लगातार परीक्षा विभाग छात्रों के कैरियर के साथ खिलवाड़ कर रहा है. कभी मार्क्‍ससीट में गड़बड़ी कर रहा है, तो कभी हजारों की संख्या में रिजल्ट पेंडिंग कर छात्रों को मानसिक व आर्थिक रू प से परेशान किया जा रहा है. इस पर वीसी चुप हो गये. जवाब नहीं मिलने पर हरेंद्र कुमार समेत अन्य सदस्य नाराज होकर हंगामा करने लगे. माहौल इतना बिगड़ गया कि विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर को हस्तक्षेप करना पड़ा. तब जाकर मामला शांत हुआ.
इसके बाद वीसी ने सदस्यों से कहा कि प्रक्रिया चल रही है. जल्द ही विवि अधिनियमों के तहत तहत नये परीक्षा नियंत्रक की बहाली होगी. हालांकि, बाद में वीसी ने सदस्यों को दलील देते हुए कहा कि अभी वे दीक्षांत समारोह व लंबित परीक्षाओं को आयोजित कराने के साथ रिजल्ट प्रकाशित कराने में लगे हैं. इस कारण प्रक्रिया में विलंब हो रही है.
फंड ट्रांसफर का भी उठा मुद्दा
बैठक में फंड ट्रांसफर का भी मुद्दा सदस्यों ने उठाया. परीक्षा विभाग की राशि से हॉस्टल व कंप्यूटर सेक्शन के कर्मचारियों का भुगतान करने वहॉस्टल की मरम्मती कराने के मुद्दे को भी उठाया गया.
सदस्यों का आरोप था कि इन दिनों विवि में फंड ट्रांसफर का खूब खेल चल रहा है. इसमें नियम-अधिनियम को ख्याल नहीं रखा जा रहा है. वीसी कई तरह का दलील दिये, लेकिन सदस्यों ने उनके दलील को मानने से इनकार करते हुए कहा कि किसी भी फंड की राशि को दूसरे फंड में खर्च करने पर फाइनेंस कमेटी से मंजूरी आवश्यक है.
इसके बाद हॉस्टल की मरम्मती पर खर्च के लिए करीब तीन लाख रुपये के तैयार प्रस्ताव को अब फाइनेंस कमेटी से पास होने के बाद ही खर्च होगा.
साथ ही अब सीधे तौर पर विवि किसी भी कर्मियों की बहाली नहीं करेगा. कोई भी बहाली आउटसोर्सिग के तहत ही की जायेगी.

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