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भूकंप की भविष्यवाणी नहीं, प्रबंधन मुश्किल

मुजफ्फरपुर: भूकंप की भविष्यवाणी नहीं होती है, इसलिए इसका प्रबंधन मुश्किल है. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल आठ या उसके पार होने पर जीव जगत के लिए खतरनाक है. यह बातें रविवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से एलएस कॉलेज कैंपस स्थित कम्युनिटी कॉलेज में भूकंप की बारंबारता व उसका प्रबंधन विषय पर आयोजित कार्यक्रम […]

मुजफ्फरपुर: भूकंप की भविष्यवाणी नहीं होती है, इसलिए इसका प्रबंधन मुश्किल है. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल आठ या उसके पार होने पर जीव जगत के लिए खतरनाक है. यह बातें रविवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से एलएस कॉलेज कैंपस स्थित कम्युनिटी कॉलेज में भूकंप की बारंबारता व उसका प्रबंधन विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता बीआरएबीयू भूगोल के प्रोफेसर आरपी यादव ने कहीं.

प्रो. यादव के अनुसार, भूकंप धरती की ऊपरी परत में आता है. इस परत का घनत्व सबसे कम है. यह सात प्लेटों से बना हुआ है जो अपने स्थान से खिसकता रहता है. ऊपरी परत में रेडियो एक्टिव खनिज में विस्फोट से असीम ऊर्जा उत्पन्न होती है. इसी प्रवाह से प्लेट खिसकता है. जब दो प्लेट एक दूसरे से दूर होते हैं तो वहां पर दरार बनती है. जिससे ज्वालामुखी बनती है, फिर विस्फोट होता है. जब प्लेट एक दूसरे से निकट जाते हैं टकराव होता है. ऐसे में भूकंप उत्पन्न होता है.

हिमालयी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से काफी संवेदनशील है. आरडीएस कॉलेज के भूगोल विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर प्रमोद कुमार ने कहा, भूकंप की गहराई जितनी अधिक होगी, कम नुकसान होगा. अध्यक्षता करते हुए प्रो विजय कुमार जायसवाल ने कहा, प्रकृति से लगातार छेड़छाड़ के कारण भूकंप के खतरे बढ़ रहे हैं. स्वागत प्रभात कुमार व मंच संचालन डॉ अरुण कुमार सिंह ने किया. कामता प्रताप ने धन्यवाद दिया. इस मौके पर लक्षणदेव प्रसाद सिंह, अनिल कुमार, ललितेश्वर मिश्र, प्रो प्रमोद कुमार, राधेश्याम सिंह, सोनू सरकार, भारत भूषण आदि मौजूद थे.

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