मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के स्नातक परीक्षा प्रथम खंड में विषय बदल परीक्षाफल प्रकाशन करने के मामले में नया मोड़ आया है. परीक्षा विभाग ने खुद को निदरेष साबित करते हुए पूरे गड़बड़ी के लिए विश्वविद्यालय के दूर शिक्षा निदेशालय एवं कंप्यूटरीकृत प्रवेश व अंक पत्र तैयार करने वाले केंद्रीय भंडार एजेंसी को जिम्मेवार ठहराया है.
इस मामले में निदेशालय और केंद्रीय भंडार एजेंसी के कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल उठाये गये है. जांच में निदेशालय के अधिकारियों के अलावा फॉर्म भरने वाले छात्रों की भी लापरवाही उजागर हुई है. छात्रों ने परीक्षा फॉर्म में उन विषयों को भरे हुए है, जो निदेशालय में पढ़ाई होती ही नहीं है. अब सवाल है कि जिस विषय की पढ़ाई नहीं होती. फिर उस विषय में छात्र नामांकन कैसे लिये? यदि नामांकन समाजशास्त्र विषय में लिये, तो फिर छात्र परीक्षा मनोविज्ञान और गृह विज्ञान का कैसे दिये? इसके अलावा कई ऐसे सवाल उठ रहे है. यदि विवि इन सवालों की जांच की तो भविष्य में निदेशालय और केंद्रीय भंडार की मुसीबत बढ़ सकती है. वहीं छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों को कठघरे में भी खड़ा होना पड़ सकता है.
आंख मूंद हुई फॉर्म की जांच
आश्चर्य की बात तो यह है कि फॉर्म की जांच करने वाले निदेशालय के अधिकृत अधिकारी भी आंख मूंद फॉर्म पर हस्ताक्षर कर परीक्षा में शामिल करने के लिए विवि को अग्रसारित कर दिये. इसके बाद कंप्यूटरीकृत प्रवेश पत्र तैयार करने वाला एजेंसी भी बगैर जांच-पड़ताल किये प्रवेश पत्र निर्गत कर छात्रों को परीक्षा में शामिल करा दिया. एजेंसी ने प्रैक्टिकल परीक्षा में शामिल बगैर छात्रों के अंक पत्र पर प्रैक्टिकल का अंक चढ़ाया गया है. विवि ने जांच रिपोर्ट में उजागर हुए निदेशालय और केंद्रीय भंडार की इस लापरवाही को मंगलवार को होने वाली परीक्षा बोर्ड की बैठक में रखने के लिए एजेंडा तैयार किया है.
फॉर्म में भरा है प्रैक्टिकल विषय
निदेशालय में नामांकित स्नातक प्रथम खंड इतिहास ऑनर्स के साथ सब्सिडी विषय में छात्रों ने मनोविज्ञान व गृह विज्ञान भरा है. दर्जन भर विषय पर मनोविज्ञान को काट गृह विज्ञान व गृह विज्ञान को काट मनोविज्ञान विषय लिखा है. इसके अलावा कई परीक्षा फॉर्म में भौतिकी विषय का भी जिक्र है. जबकि, निदेशालय में सिर्फ नन प्रैक्टिकल विषयों की ही पढ़ाई होती है.