लेकिन नौकरी ढ़ूंढ़ने के दौरान उन्हें बैचलर की जगह डिप्लोमा डिग्री का ही लाभ मिल पा रहा है. दरअसल यूजीसी के गाइडलाइन के अनुसार बीएफएससी कोर्स चार साल का होना चाहिए, लेकिन आरडीएस कॉलेज में इसे तीन साल के कोर्स के रूप में ही चलाया जा रहा है. पिछले दिनों यूजीसी ने देश के तमाम विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी कर गाइडलाइन से इतर चल रहे तमाम कोर्स को तत्काल रोक देने का निर्देश दिया है. ऐसा नहीं करने पर उन्हें कार्रवाई की चेतनावी भी दी गयी है.
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चार साल का कोर्स, तीन साल में मिलती डिग्री
मुजफ्फरपुर: आरडीएस कॉलेज में बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस (बीएफएससी) का कोर्स पिछले अठारह सालों (1996) से चल रहा है. इस कोर्स को पूरा करने पर विवि की ओर से छात्र-छात्रओं को बैचलर की डिग्री भी दी जा रही है. अब तक करीब चार सौ से अधिक छात्र कोर्स पूरा कर चुके हैं. लेकिन नौकरी ढ़ूंढ़ने […]
मुजफ्फरपुर: आरडीएस कॉलेज में बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस (बीएफएससी) का कोर्स पिछले अठारह सालों (1996) से चल रहा है. इस कोर्स को पूरा करने पर विवि की ओर से छात्र-छात्रओं को बैचलर की डिग्री भी दी जा रही है. अब तक करीब चार सौ से अधिक छात्र कोर्स पूरा कर चुके हैं.
यूजीसी के सचिव की ओर से जारी इस नोटिस में विश्वविद्यालयों को वहीं डिग्री जारी करने का निर्देश दिया गया है, जो यूजीसी से मान्यता प्राप्त अथवा जिसे पांच जुलाई, 2014 को जारी ‘भारत का गजट’ में अधिसूचित किया गया है. इस गजट में बीएफएससी कोर्स को कृषि एवं समवर्ती विषयों की सूची में डाला गया है, जो चार साल का कोर्स है. राजेंद्र कृषि विवि में भी बीएफएससी चार वर्षीय कोर्स के रू प में ही चल रहा है.
मत्स्य विभाग भी मानता है डिप्लोमा डिग्री
आरडीएस कॉलेज में बीएफएससी कोर्स 1996 से चल रहा है. पहले बैच में कोर्स पूरा करने वाले चार छात्रों ने बाद में सीआइएसआर की परीक्षा पास कर फिशरीज साइंटिस्ट बनने का गौरव भी हासिल किया. वर्ष 2000 में मत्स्य विभाग के निदेशक एस अयप्पन ने सीआइएसआर की परीक्षा में शामिल होने के लिए चार वर्षीय बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस की डिग्री को अनिवार्य कर दिया. इसको लेकर स्थानीय छात्र-छात्राओं ने काफी हंगामा भी किया था. लेकिन वर्ष 2005-06 में राज्य सरकार के मत्स्य विभाग ने भी तीन वर्षीय कोर्स को डिप्लोमा की डिग्री मानते हुए डिग्री पाने वाले छात्रों को विभाग के ग्रेड थ्री (इंस्पेक्टर, सुपरवाइजर, आदि) की नौकरी के लिए ही योग्य बताया. जबकि बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस की डिग्री हासिल करने वाले छात्र विभाग में ग्रेड टू (जिला मत्स्य पदाधिकारी व फिश एक्सटेंशन ऑफिसर) के पद के योग्य माने जाते हैं.
यदि इस तरह का मामला है तो इसकी जांच की जायेगी. यूजीसी के लेटर, भारत का गजट व कोर्स से संबंधित संचिकाओं का अवलोकन किया जायेगा. यदि यह सही पाया गया तो इस संबंध में हर वह पहल की जायेगी, जिससे छात्रों को कोई नुकसान न हो.
डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव, कुलानुशासक
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