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दरिंदों को मौत, मासूम को मिले जिंदगी

मुजफ्फरपुर: टूटता समाज, बिखरती इंसानियत, इसलिए दरिंदों को मौत, मासूम को मिले जिंदगी व बेटियां हो जाओ होशियार, अब हो न सके तुम पर अत्याचार. बुधवार को करीब दो से तीन सौ छात्रओं ने एमडीडीएम कॉलेज में मानव श्रृंखला बनाकर कुछ ऐसे ही स्लोगन के साथ देश में कम उम्र की बच्चियों के साथ हो […]

मुजफ्फरपुर: टूटता समाज, बिखरती इंसानियत, इसलिए दरिंदों को मौत, मासूम को मिले जिंदगी व बेटियां हो जाओ होशियार, अब हो न सके तुम पर अत्याचार. बुधवार को करीब दो से तीन सौ छात्रओं ने एमडीडीएम कॉलेज में मानव श्रृंखला बनाकर कुछ ऐसे ही स्लोगन के साथ देश में कम उम्र की बच्चियों के साथ हो रहे दुराचार की घटना का विरोध किया.

लोगों को ऐसी घटनाओं के विरोध में आगे आने के लिए जागरूक करते हुए छात्रओं ने ‘हम सब ने ये ठाना है, यौन अपराध के खिलाफ आवाज उठाना है. समाज से बालात्कार मिटाना है, गुड़िया और दामिनी जैसे मासूमों को बचाना है’ जैसे नारे भी लगाये.

इस दौरान कॉलेज एनएसएस इकाई की ओर से संवाद कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया. अध्यक्षता करते हुए प्राचार्या डॉ निर्मला सिंह ने कहा कि देश में इन दिनों छोटी बच्चियों के साथ हो रहे दुष्कर्म समाज में व्याप्त कई मिथकों को तोड़ रही है. पहले बालात्कार जैसी घटनाओं के लिए लड़कियों द्वारा पहने गये पोशाक को माना जाता था. पर पांच वर्षीय गुड़िया के साथ ऐसी कोई बात नहीं थी. वह तो ठीक से चल भी नहीं सकती थी. ऐसे में उसके साथ ऐसी घिनौनी हरकत क्यों? यह व्यक्ति के विक्षिप्त मानसिकता का द्योतक है. ऐसे अपराधियों को जनता के हवाले कर देना चाहिए.

कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ कुसुम कुमारी ने कहा कि दुष्कर्म जैसी घटनाओं को रोकने के लिए बच्चों में संस्कार देने की जरूरत है. इसकी शुरुआत परिवार से ही हो सकती है.

आज टूटते परिवार, एकल परिवार व सूचना क्रांति के बढ़ते प्रभाव के कारण युवा वर्ग पर बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में उन्हें देश की पुरानी संस्कृति को बताने की जरूरत है.
मौके पर डॉ वंदना विजयालक्ष्मी, डॉ उषा सिंह, डॉ सुनैना राय, डॉ
शीला सिंह सहित अन्य शिक्षिकाओं ने भी अपने विचार रखे.

संवाद कार्यक्रम के दौरान कई छात्राओं को भी अपना मत रखने का मौका मिला. इस दौरान शालिनी राज ने स्वलिखित कविता ‘ए गर्ल टू हर मॉम’ प्रस्तुत कर लोगों को भाव विभोर किया.

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