मुजफ्फरपुर: अटलांटा का सेंटर फॉर कंट्रोल डिजीज रिसर्च सेंटर अब एइएस के कारणों की खोज के लिए टॉक्सिन की जांच में जुटा है. वैज्ञानिक अब जमाइका के राष्ट्रीय फल एकी व बिहार के लीची का तुलनात्मक अध्ययन कर रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लीची को वैज्ञानिक एकी ग्रुप का ही फल मान रहे हैं.
एकी फल देखने में लीची जैसा ही होता है, लेकिन कच्च एकी में जानलेवा टॉक्सिन होता है. यहां भी वर्षो से यह बीमारी चली आ रही है. 1980 में कच्च एकी खाने के कारण सबसे अधिक 271 बच्चे बीमार पड़े थे. 1991 में शोध के बाद पता चला कि कच्च एकी में मेथाइलेमेक्लोप्रोपेल एसिटिक एसिड (एमसीपीए) है. यह एक प्रकार का जहर (टॉक्सिक) है. इसके खाने के बाद बच्चे बीमार होते हैं, फिर उनकी मृत्यु हो जाती है. जमाइका में इस बीमारी का नाम एएआई (ऐन एक्यूट इलनेस) दिया गया है. वहां कच्चे फलों से बच्चों को दूर रखा जा रहा है. अमेरिका ने एकी की आपूर्ति पर ही बैन कर दिया है. हालांकि कच्च एकी खानी से सिर्फ बच्चे ही बीमार पड़ते हैं, बड़ों पर इसका असर नहीं होता. इस पर वैज्ञानिक अभी भी शोध कर रहे हैं.
एएआई व एइएस के लक्षण एक जैसे : जमाइका की बीमारी ऐन एक्यूट इलनेस व एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम के लक्षण एक जैसे हैं. एकी खाने बच्चे हाइपाग्लेसेमिया के शिकार होते हैं. उनका ब्लड सूगर काफी कम हो जाता है. बच्चों को तेज बुखार व चमकी होती है, फिर वे कोमा में चले जाते हैं. उसके बाद उनकी मृत्यु हो जाती है. वैसे बच्चे जिनमें विटामिन बी की कमी या कुपोषित होते है, वे इस बीमारी के अधिक शिकार होते हैं. एएइस बीमारी में भी ठीक ऐसा ही लक्षण है. बच्चे का अचानक ब्लड सूगर लेबल कम हो जाता है. फिर तेज बुखार व चमकी की चपेट में आ जाते हैं. लक्षणों में समानता होने पर वैज्ञानिक कच्चे लीची में भी टॉक्सिन होने की संभावना मान रहे हैं. इसके लिए लीची की रासायनिक जांच की जा रही है.